भारत-अमेरिका के बीच हुई द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा, टैरिफ पर मिल सकती है रियायत

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नई दिल्ली/वाशिंगटन। भारत और अमेरिका (India and America) के बीच व्यापारिक रिश्तों (Business Relationships) को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली (New Delhi) में एक बड़ी बैठक हुई है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral trade agreements.- BTA) पर चर्चा की गई। यह बैठक 2 अप्रैल को लागू होने वाले डोनाल्ड ट्रंप के प्रतिकूल शुल्क (reciprocal tariffs) से पहले हुई है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने किया, जबकि भारत की तरफ से वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल शामिल हुए। तीन दिवसीय वार्ता में द्विपक्षीय व्यापार समझौते के मूल ढांचे पर चर्चा की गई, जिसे शुक्रवार तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।

एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “यह अब स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन भारत को चीन, मैक्सिको और कनाडा जैसे देशों के साथ एक श्रेणी में नहीं रखता है।” उन्होंने कहा, “अमेरिका के चीन, मैक्सिको और कनाडा के साथ मुद्रा हेरफेर, अवैध आप्रवासन और अन्य सुरक्षा चिंताओं से संबंधित गंभीर मुद्दे हैं। लेकिन भारत के साथ केवल शुल्क संबंधी मुद्दे हैं, जिन्हें हम आपसी समझ के साथ हल कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके लिए 2025 में ही द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने की योजना है।

ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल से प्रतिकूल शुल्क लागू करने की घोषणा की है। भारत को उम्मीद थी कि व्यापार वार्ता में कुछ रियायतें मिल सकती हैं। लेकिन हालिया संकेतों से लगता है कि भारत को इन शुल्कों से राहत मिलने की संभावना कम है। ट्रंप ने कहा, “भारत हमसे 100 प्रतिशत शुल्क लेता है जो कि हमारे लिए निष्पक्ष नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि 2 अप्रैल से प्रतिकूल शुल्क लागू होंगे, जो दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।

Moody’s रेटिंग एजेंसी ने फरवरी में कहा था कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे विकासशील देशों पर अमेरिकी प्रतिकूल शुल्क का अधिक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि उनके और अमेरिका के बीच शुल्क दरों में बड़ा अंतर है। भारत में कृषि, वस्त्र और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में उच्च शुल्क हैं।

भारत ने अमेरिका की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ कदम उठाए हैं, जैसे फरवरी में मोटरसाइकिल और बोरबोन पर शुल्क में कमी की है। ऑनलाइन विज्ञापनों पर 6% शुल्क हटाने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इन कदमों को पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। 2 अप्रैल की समय सीमा से पहले अधिक ठोस कदमों की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी शुल्क दरें उतनी कम नहीं हैं जितना दावा किया जा रहा है। इन शुल्कों से घरेलू विनिर्माण को पुनर्जीवित करने में सीमित प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा विभिन्न वस्तुओं और साझेदार देशों के लिए शुल्कों को लागू करने में जटिलताएं हैं, जिससे योजना के कार्यान्वयन में कठिनाई हो सकती है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में आगामी सप्ताह महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि दोनों देशों को प्रतिकूल शुल्कों के प्रभाव और द्विपक्षीय व्यापार समझौते की प्रगति के बारे में स्पष्टता प्राप्त होगी।

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