जिजामाता ने सिखाया कि दृढ़ संकल्प से असंभव को भी किया जा सकता है संभव: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
– क्रीड़ा भारती की ओर से देश का गौरव बढ़ाने वाले छह खिलाड़ियों की माताओं को दिया गया जिजामाता सम्मान
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जिजामाता ने हमें यह सिखाया कि दृढ़ संकल्प और साहस के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उन्होंने राज्य सरकार की महिला सशक्तिकरण योजनाओं और नीतियों का जिक्र करते हुए बताया कि महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। जिजामाता सम्मान समारोह महिला सशक्तिकरण और समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से ही किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार देर शाम भोपाल के रवीन्द्र भवन में आयोजित जीजामाता सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में मेडल हासिल करता है, तो यह सिर्फ उस खिलाड़ी के परिश्रम ही नहीं, वरन् उस खिलाड़ी को तैयार करने में त्याग, बलिदान, समर्पण, साधना, भावना, अश्रु और परिश्रम की बूंदें बहाने वाली माता का भी अहम योगदान होता है। भारत को भारत बनाने में और खिलाड़ी को खिलाड़ी बनाने में नारी की भूमिका सर्वोपरि है। परिवार संतान की पहली प्रशिक्षण शाला होती है और माताएं यह काम बखूबी करती हैं। उनका सम्मान कर हम स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। समाज और सरकार का खेल और खिलाड़ियों के प्रति सहयोगी दृष्टिकोण बेहद जरूरी है। हम इसी दिशा में काम कर प्रदेश में सभी खेलों के विकास और खिलाड़ियों को समान अवसर देने के लिए प्रयासरत हैं।
खेल हमारी संस्कृति भी है और प्रकृति भी : केन्द्रीय मंत्री मंडाविया
कार्यक्रम में केन्द्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि नारी शक्ति ने इस देश को सम्मान और अभिमान दिलाया है। खेल हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। यह हमारी संस्कृति भी है और हमारी प्रकृति भी। हम नई राष्ट्रीय खेल नीति पर अमल कर देश के लिए अधिकाधिक ओलम्पिक मेडल लाने वाले खिलाड़ी तैयार करेंगे। इस नीति के जरिए हमने 9 से 15 वर्ष के किशोरवय खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने की योजना बनाई है। खेलो इंडिया स्कूल गेम्स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के बाद खेलो इंडिया यूथ गेम्स के जरिए हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। हम जिलों से खिलाड़ी तैयार कर राज्य स्तर पर लेकर आएंगे और राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल स्पर्धाओं के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने जिजामाता सम्मान से सम्मानित सभी नारी शक्तियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि देश के नवनिर्माण के लिए हमें आगे आना होगा। इसमें माताओं की सबसे अहम भूमिका है।
जिजामाता के नाम से सम्मान देश की हर माता का सम्मान है: होसबले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि जिजामाता ने ही शिवाजी को छत्रपति शिवाजी महाराज बनाया। वे दृढ़ निश्चय की महामेरू और एक कुशल प्रशासक भी थीं। उनके नाम पर सम्मान समारोह आयोजित कर नारी शक्तियों को सम्मानित करना देश की हर उस माता के त्याग और बलिदान को सम्मान देना,जिन्होंने अपने परिश्रम से सींचकर देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ी तैयार किए।
उन्होंने कहा कि जिजामाता शौर्य और पराक्रम से परिपूर्ण एक धैर्यधारिणी माता थीं। उन्होंने वीर शिवाजी को रणांगन के कौशल की शिक्षा दी और कुशलतापूर्वक प्रशासन भी चलाया। शिवाजी महाराज को अपने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए तैयार किया। उन्होंने झुकना नहीं सीखा। उन्होंने कहा था कि मेरा बेटा शिवा किसी का गुलाम नहीं रहेगा, वह स्वतंत्र राज्य का निर्माण करेगा। यह उन्हीं की प्रेरणा ही थी कि आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वतंत्र हिंद राष्ट्र की नींव रखी।
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि देश को मजबूत बनाने के लिए पहले हमें अपने शरीर और मन को मजबूत बनाना होगा। बच्चों की पहली पाठशाला माँ होती है और उनके योगदान से ही यह सब संभव होगा। उन्होंने इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मान समारोह का भोपाल में आयोजन करने के लिए क्रीड़ा भारती को बधाई और साधुवाद दिया। सारंग ने कहा कि यह आयोजन न केवल माताओं का सम्मान है वरन् खेल और खिलाड़ियों को सम्मान देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का भी सम्मान है।
क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्रीड़ा भारती खेलों के विकास के लिए समर्पित संगठन है। युवा वर्ग खिलाड़ियों का अनुसरण करते हैं। इसलिए खेलों को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए हमारी सरकार पूरी ऊर्जा के साथ इस दिशा में प्रयासरत है। हमारे मुख्यमंत्री स्वयं कुश्ती के खिलाड़ी रहे हैं और खेलों के प्रति उनका प्रेम जगजाहिर है। खेल को एक संस्कार की तरह पोषित और पल्लवित करने का जो काम क्रीड़ा भारती कर रही है, हमारी सरकार भी इस दिशा में पूरा सहयोग करेगी।
समारोह में क्रीड़ा भारती की ओर से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल स्पर्धाओं में देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ियों की माताओं को जिजामाता सम्मान से नवाजा गया। सम्मानित होने वालों में अंतरराष्ट्रीय जिमनास्ट एवं खेल रत्न अवार्डी दीपा कर्माकर की माता गौरीदेवी, अंतरराष्ट्रीय हॉकी गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश की माता ऊषा कुमारी, ओलम्पिक मुक्केबाज लवलीना की माता ममोनी देवी बोरगोहेन, टोक्यो एवं पेरिस दोनों पैरालम्पिक में स्पर्धा में गोल्ड मेडल विजेता पैराशूटर अवनि लेखरा की माता श्वेता जेवरिया और प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर प्रसाद की माता कमला देवी को जिजामाता सम्मान से सम्मानित किया गया। बीते वर्ष सम्पन्न हुई ओलम्पिक स्पर्धा में भाला फेंक में गोल्ड मेडल विनर नीरज चोपड़ा की माता सरोज चोपड़ा को भी इस सम्मान से नवाजा गया। उनकी अनुपस्थिति में उनकी ओर से नीरज चोपड़ा के चाचा भीमसिंह ने जिजामाता सम्मान ग्रहण किया। कार्यक्रम में ‘खेल-खिलाड़ी-खेल’ क्रीड़ा गीत की लॉचिंग (लोकार्पण) भी की गई।
क्रीड़ा ज्ञान परीक्षा पुरस्कार भी दिये गये
चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन द्वारा बीते तीन वर्षों से हर साल राष्ट्रीय स्तर पर क्रीड़ा ज्ञान परीक्षा का ऑनलाईन आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 2024 में कुल एक लाख 40 हजार प्रतिभागियों ने इस परीक्षा में भागीदारी की। फाउण्डेशन द्वारा इस परीक्षा के विजेताओं को हर साल 5 लाख रूपए की राशि से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार दिए जाते हैं। प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपये का तथा 50-50 हजार रुपये के दो द्वितीय और 11-11 हजार रुपये के 11 तृतीय पुरस्कार दिए जाते हैं। जिजामाता सम्मान समारोह में इस वर्ष का एक लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार इंदौर मालवा प्रांत के पार्थ प्रजापत को और 50-50 हजार रुपये के दो द्वितीय पुरस्कार दक्षिण बिहार के अभिषेक कुमार एवं सौराष्ट्र के देव करेलिया को दिया गया। इस परीक्षा के आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवाओं में खेलों के प्रति जागृति का संचार करना है।
समारोह में जिजामाता सम्मान पाने वाली श्वेता जेवरिया ने पैराशूटर अवनि लेखरा को उसका लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किए गए अपने मातृरूपी कठिन परिश्रम के अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि बच्चों को सदैव विपरीत हालातों से लड़ना सिखाएं, कभी उनका मनोबल गिरने न दें, तभी कोई बच्चा अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए आगे बढ़ पाता है।
कार्यक्रम में क्रीड़ा भारती के दीपक संचेती, राज चौधरी, शैलेन्द्र श्रीवास्तव सहित इस संगठन के अन्य पदाधिकारी, बड़ी संख्या में खिलाड़ी, उनके परिजन तथा खेलप्रेमी दर्शकगण उपस्थित थे।