आयकर विभाग ने कुछ शर्तों के साथ करदाताओं को दी बड़ी राहत

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  • कर देनदारी पर बकाया ब्याज होगा माफ,मिल सकती है 1.50 करोड़ से अधिक छूट

आयकर विभाग ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए कुछ खास शर्तों के साथ टैक्स अधिकारियों को बकाया ब्याज माफ करने या कम करने की अनुमति दे दी है। इसके तहत, इस दायरे में आने वाले करदाताओं को 1.50 करोड़ रुपये से अधिक की रियायत मिल सकती है।

आयकर विभाग ने मंगलवार को कहा, आयकर अधिनियम की धारा-220(2ए) के तहत अगर कोई करदाता किसी मांग नोटिस के मामले में कर चुकाने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान करने में देरी की अवधि के लिए हर महीने एक फीसदी की दर से ब्याज भरना होगा। हालांकि, प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त या प्रधान आयुक्त या आयुक्‍त रैंक के अधिकारी इस बकाया ब्याज राशि को कम कर सकते हैं या माफ कर सकते हैं। यह अधिनियम इन अधिकारियों को देय ब्याज राशि को कम करने या माफ करने का अधिकार देता है।

नांगिया एंड कंपनी एलएलपी साझेदार सचिन गर्ग ने कहा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के इस कदम से ब्याज में छूट था कमी के लिए करदाता की ओर से किए गए आवेदनों का शीघ्र निपटान करने में
मदद मिलने को उम्मीद है।

जानिए…कौन अधिकारी दे सकता है कितनी राहत

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चार नवंबर को जारी सर्कुलर में कहा, आयकर अधिनियम की धारा-220(2ए) के तहत प्रधान मुख्य आयुक्त रैंक का अधिकारी 1.50 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को माफ कर सकता है या कमर कर सकता है।

: मुख्य आयुक्त रैंक के अधिकारी 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए छूट/कटौती का फैसला करेगा।

: प्रधान आयुक्त या आयकर आयुक्त रैंक के अधिकारी 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर छूट देने या माफ करने का फैसला कर सकते हैं।

शर्तों में कोई बदलाव नहीं, बढ़ेगी पारदर्शिता
सचिन गर्ग ने कहा, यह ध्यान देने योग्य बात है कि आयकर अधिनियम की धारा-220 के तहत ब्याज में ऐसी कमी या छूट की मांग करने के लिए जिन शर्तों को पूरा करना आवश्यक है, उनमें किसी तरह का कोई बदलाब नहीं किया गया है। वहीं, एएमआरजो एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा, आयकर विभाग के इस कदम से ब्याज राहत देने में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

पूरी करने होंगी तीन शर्तें
: ऐसी राशि के भुगतान से करदाता को वास्तविक कठिनाई हुईं है या होगी।

: ब्याज भुगतान में चुक करदाता के नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण हुई थी।

: करदाता ने कर निर्धारण से जुड़ी जांच में या उससे देय किसी राशि की वसूली की कार्यवाही में सहयोग किया है।

आयात-निर्यात धोखाधड़ी मामलों की जांच एक साल में पूरी करें अधिकारी
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी ) ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र या समन जारी करते समय चल रही पूछताछ की विशिष्ट प्रकृति का खुलासा करने और एक साल के भीतर जांच पूरी करने को कहा है।

सीबीआईसपी ने कहा, अधिकारियों को माल के आयात या निर्यात में कर चोरी की जांच के दौरान संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।

: सीवीआईसी ने अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा, जांच शुरू करने से पहले आयातक या निर्यातक के साथ इंटरफेस को कम करने के लिए सभी सूचनाओं का विश्लेषण और उपलब्ध आंकड़ों की दोबारा जांच की जाए।

: आयुक्‍तालय को सीमा के भीतर किसी भी खुफिया जानकारी, जांच, उसके पूरा होने और अनुमोदित करने के लिए आयुक्त जिम्मेदार होगा।

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