देश के उच्च न्यायालयों में 78% जज सवर्ण जाति के, OBC से 15 और SC/ST महज 5 फीसदी

नई दिल्ली। देश के उच्च न्यायालयों (High Courts) में जजों की नियुक्तियों (Appointments of judges) को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए संसद (Parliament) में केंद्र सरकार (Central government) के द्वारा एक महत्वपूर्ण बयान दिया गया है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Law Minister Arjun Ram Meghwal) ने पिछले हफ्ते संसद को सूचित किया कि 2018 से अब तक यानी पिछले सात वर्षों में देश की विभिन्न उच्च न्यायालयों में 78 प्रतिशत जज सवर्ण जाति से बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व केवल 5% रहा। वहीं करीब 12 प्रतिशत जज अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से बनाए गए हैं।
लोकसभा में राजद के सांसद मनोज झा द्वारा इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विधि मंत्री ने बताया कि 2018 से लेकर अब तक देश के विभिन्न हाईकोर्ट के लिए नियुक्त किए गए 715 जजों में से केवल 22 एससी श्रेणी से आते हैं। वहीं, 16 एसटी और 89 ओबीसी श्रेणी से आते हैं। इस दौरान 37 अल्पसंख्यकों को भी जज बनाया गया।
विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार न्यायपालिका में सामाजिक विविधता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि 2018 से हाईकोर्ट में जजों के लिए जो सिफारिश की जाती है उसमें उम्मीदवारों से उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी देने का आग्रह किया जाता है। इसे सर्वोच्च न्यायालय (SC) के साथ परामर्श कर तैयार किया गया है।
विधि मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से यह अनुरोध करती है कि वे जजों के पद के लिए सिफारिश करते समय SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक समुदायों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने पर ध्यान दें, ताकि सामाजिक विविधता सुनिश्चित की जा सके।
आपको बता दें कि राजद सांसद मनोज झा ने हाल ही में राज्यसभा में यह सवाल उठाया था कि उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में SC, ST, OBC, महिलाओं और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और पिछले कुछ वर्षों में इन वर्गों से जजों की नियुक्ति में गिरावट आई है। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि क्या सरकार ने इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उठाया है और क्या सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया में सामाजिक विविधता को शामिल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से संवाद किया है।
विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जवाब में कहा कि उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत किया गया है। इनमें किसी भी जाति या वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
मेघवाल ने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन यह मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के द्वारा ही तय किया जाता है कि कौन से व्यक्ति न्यायधीश के रूप में नियुक्त किए जाएंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि नियुक्तियों के प्रस्तावों की शुरुआत करने की जिम्मेदारी मुख्य न्यायाधीश की है और उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के प्रस्ताव मुख्य न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी होती है।