ढाका ग्लेशियर में 1968 में गिरा था वायुसेना का एएन-12, 93 अब भी लापता
साल 1968 में लाहौल की सोबी रेंज के ढाका ग्लेशियर में क्रैश हुए वायुसेना के जहाज पर सवार लापता जवानों में से चार जवानों के शव बरामद करके उनके परिवारों तक पहुंचा दिए गए हैं। सेना ने पिछले दिनों लापता जवानों को तलाश फिर शुरू की थी। चंडीगढ़ से 98 सैनिकों और चार क्रू मेंबर के साथ लेह जा रहा एएन-12 विमान लापता हो गया था। करीब पांच बार चलाए गए तलाशी अभियानों में अब तक कुल 9 फौजियों के शत बरामद किए जा सके हैं और 56 साल बाद भी 93 जवानों का कोई सुराग नहीं लग पाया है।
विमान हादसे में लापता हुए जवानों की तलाशी का यह अभियान करीब एक सप्ताह तक चलने की उम्मीद हैं। तलाशई में में सेना के सुमदो से डोगरा स्काउट्स के 16 जवान और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के तीन कर्मी शामिल हैं। इससे पहले भो डोगर स्काउट्स चार से पांच बार अभियान चला चुकी है।
लेकिन 17,000 फीट से भी अधिक ऊंचे ढाका ग्लेशियर में लापता जवानों की तलाश करना आसान नहीं है। 2003 के बाद से शुरू हुए सर्च अभियान के बाद शव मिलने शुरू हुए थे। इसके बाद सेना ने 2007, 2013 और 2019 में सर्च अभियान शुरू किए और इसमें पांच शव मिले थे। बता दें कि 1968 में 17,000 फीट ऊंचे ढाका ग्लेशियर में एयरफोर्स का एएन-12 विमान मौसम खगब होने से लापता हो गया था। वर्ष 2003 में इस विमान का मलबा सबसे पहले दक्षिणी ढाका ग्लेशियर में देखा गया था। डीएसपी केलांग राज कुमार ने कहा कि सेना ने 29 सितंबर से अभियान शुरू किया है।
नेम प्लेट-बैज से हुई पहचान
ढाका ग्लेशियर से बग़मद चारों जवानों के अवशेष बुधवार सुबह लोसर में पोस्टमार्टम करवाने के बाद हेलिकाप्टर से घर भेज दिए गए। डीएसपी केलांग राजकुमार ने बताया कि ये अवशेष मलखान सिंह ( सहासनपुर-यूपी), सिपाही नारायण सिंह( पौड़ी गढ़वाल-उत्तरखंड), सिपाही मुंशी राम (रेवाड़ी-हरियाणा ) और थॉमस चेरियन (कोल्लम्-केरल) के थे। नेम प्लेट और बैज से इनकी पहचान हुई थी।