RBI ने उठाया बड़ा कदम: डिजिटल धोखाधड़ी पर नकेलख, कुछ नए नियम भी बने
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नई दिल्ली । डिजिटल धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का इंटरनेट डोमेन नाम बदल जाएगा। इस बदलाव से बैंकों और एनबीएफसी की वेबसाइट का नाम भी बदल जाएगा। बैंकों को जहां बैंक डॉट इन का उपयोग करना होगा, वहीं एनबीएफसी को फिन डॉट इन का इस्तेमाल करना होगा। बैंकों के लिए एक अप्रैल से विशेष इंटरनेट डोमेन शुरू होगा। आने वाले समय में एनबीएफसी के लिए भी ‘फिन डॉट इन’ शुरू किया जाएगा।
आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, डिजिटल धोखाधड़ी में बढ़ोतरी चिंता का विषय है। इस पर लगाम कसने के लिए सभी को जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। इस निर्णय का उद्देश्य वित्तीय क्षेत्र में विश्वास बढ़ाना है। वित्तीय सेवाओं के तेजी से डिजिटलीकरण से ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिल रही है। हालांकि, साइबर खतरा और डिजिटल जोखिम भी बढ़ गया है। इनमें हर दिन बढ़ोतरी हो रही है।
आरबीआई की इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को कम करना और सुरक्षित वित्तीय सेवाओं को सुव्यवस्थित करना है, जिससे डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं में लोगों का विश्वास बढ़े। गवर्नर ने कहा, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा। इसी तरह, गैर-वित्तीय संस्थानों के ग्राहकों की भी सुरक्षा का निर्णय लिया गया है। उनके लिए भी विशेष डोमेन उपलब्ध कराया जाएगा। वास्तविक पंजीकरण अप्रैल, 2025 से शुरू होंगे। बैंकों के लिए विस्तृत निर्देश अलग से जारी होंगे।
आयकर में राहत से महंगाई बढ़ने का खतरा नहीं
बजट में मध्य वर्ग को आयकर में राहत देने से देश में खपत बढ़ेगी। हालांकि, खपत में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ने का खतरा नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक वृद्धि को जरूर समर्थन मिलेगा। यह बजट महंगाई और वृद्धि दोनों के नजरिये से शानदार है। -संजय मल्होत्रा, गवर्नर, आरबीआई
सीमा पार भुगतान और सुरक्षित होगा, ग्राहकों का बढ़ा भरोसा
आरबीआई ने सीमा पार ‘कार्ड नॉट प्रेजेंट’ लेनदेन में प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) को सक्षम कर सुरक्षा का दायरा और बढ़ा दिया है। डिजिटल भुगतान के लिए एएफए की शुरुआत से लेनदेन की सुरक्षा बढ़ी है, जिससे ग्राहकों का डिजिटल भुगतान में भरोसा बढ़ा है। हालांकि, यह सिर्फ घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है।
भारत में जारी कार्डों का उपयोग कर ऑनलाइन सीमा पार लेनदेन के लिहाज से समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्ड नॉट प्रेजेंट (ऑनलाइन) लेनदेन के लिए भी एएफए को सक्षम करने का प्रस्ताव है। शेयरधारकों से प्रतिक्रिया के लिए मसौदा जल्द जारी होगा।
जाड़े में सब्जियों के दाम घटने और रबी फसलों की बेहतर पैदावार से खाद्य कीमतों में आएगी गिरावट
खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी की उम्मीद के बीच खुदरा महंगाई अगले वित्त वर्ष 2025-26 में घटकर 4.2 फीसदी रह सकती है। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है। खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम घटने और रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य महंगाई में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए। हालांकि, मुख्य (कोर) महंगाई बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह मध्यम स्तर पर रहेगी। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक कुल महंगाई में सब्जियों और दालों का योगदान 32.3 फीसदी था।
गवर्नर ने कहा, खाद्य पदार्थों को लेकर अनुकूल स्थिति और पिछली मौद्रिक नीति समीक्षाओं में उठाए गए कदमों का असर जारी है। खुदरा महंगाई धीरे-धीरे चार फीसदी के लक्ष्य के आसपास आ जाएगी।
आरबीआई ने खुदरा महंगाई के 2025-26 की पहली तिमाही में 4.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतें घटने से खुदरा महंगाई दिसंबर, 2024 में कम होकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 फीसदी पर आ गई। नवंबर में यह 5.48 फीसदी थी। अक्तूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 14 महीने के उच्च स्तर 6.21 फीसदी पर पहुंच गई थी।
अब भी बना हुआ है जोखिम
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ऊर्जा की कीमतों में अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों में जारी अनिश्चितता को देखते हुए महंगाई बढ़ने का जोखिम बना हुआ है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए खुदरा महंगाई चालू वित्त वर्ष में 4.8 फीसदी और 2024-25 की चौथी तिमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
रुपया: विनिमय दर वर्षों से स्थिर, कोई लक्ष्य तय नहीं
रुपये में लगातार गिरावट के बीच आरबीआई गवर्नर ने कहा, विनिमय दर नीति पिछले कई वर्षों से एक समान रही है। केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी ‘विशिष्ट स्तर या दायरे’ का लक्ष्य नहीं बनाया है। भारतीय रुपये की विनिमय दर बाजार तत्व निर्धारित करते हैं। हमारा मकसद बाजार की कार्यकुशलता से समझौता किए बिना व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखना है।
गवर्नर ने कहा, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती को लेकर उम्मीदें घटने से अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है। बॉन्ड पर रिटर्न बढ़ा है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर पूंजी निकासी हुई है, जिससे उनकी मुद्राओं में तेज गिरावट आई है।
रुपया इस साल अब तक करीब दो फीसदी टूट चुका है। 6 नवंबर, 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में 3.2 फीसदी की गिरावट आई है।
तीन जरूरी नियम 31 मार्च, 2026 तक के लिए स्थगित
कर्जदाताओं को तैयारी के लिए पर्याप्त समय देने को आरबीआई ने तीन प्रस्तावित महत्वपूर्ण बैंकिंग नियमों के कार्यान्वयन को 31 मार्च, 2026 तक स्थगित करने का फैसला लिया है।
पहला, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को कर्ज देने के लिए कड़े नियमों का प्रस्ताव था। दूसरा, डिजिटल जमा के लिए अधिक राशि अलग रखने और तीसरा अपेक्षित क्रेडिट घाटे के लिए एक रूपरेखा पेश करने की योजना बनाने का नियम था। इन नियमों के कारण सरकार को कर्ज का प्रवाह प्रभावित होने का डर था। सरकार का मानना था कि आर्थिक मंदी के लिए कड़े बैंकिंग नियम जिम्मेदार हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, हम कोई व्यवधान पैदा नहीं करना चाहते। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। हम नहीं चाहते कि सभी मानदंड एक साथ लागू हो जाएं।