दावा : महंगी और जटिल पड़ रही योजना, जेब से देना पड़ रहा रिटर्न, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बंद कर सकती है सरकार

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नई दिल्ली। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना को सरकार बंद कर सकती है। सरकार का मानना है कि यह एक महंगा और जटिल निवेश साधन है। इस कारण सरकार अब आगे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं रख सकती है। हालांकि अब तक सरकार की ओर से इस योजना को बंद करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। दरअसल देश में सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए ये योजना लाई गई थी। इससे पहले ही कयासों का दौर शुरू हो चुका है और बाजार लगभग इस फैसले के लिए तैयार दिख रहा है। सेकंडरी मार्केट्स में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मांग में तेजी देखने को मिली है। सरकार ने पेपर गोल्ड के तौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को 2015 में पेश किया था। आरबीआई इसका प्रबंधन करता है।

सरकार एसजीबी योजना के जरिये बाजार से कम मूल्य पर सोना खरीदने का विकल्प देती है। इसकी मेच्योरिटी अवधि आठ साल है। साथ ही, खरीदारों को 2.5 फीसदी रिटर्न भी मिलता है। इस योजना के पेश होने के बाद से अब तक कुल 67 किस्त जारी हो चुकी है, जिसमें निवेशकों ने 72,274 करोड़ का निवेश किया है। इनमें से चार किस्त पूरी तरह मेच्योर हो चुकी है। 2015 में यह योजना पेश हुई थी, तब इसका इश्यू प्राइज 2,684 रुपये प्रति ग्राम था। 2023 में इसकी मेच्योरिटी पूरी हुई थी, तब रिडम्पशन प्राइज 6,132 रुपये तय किया गया था। इस तरह, निवेशकों को आठ साल में 2.28 गुना मुनाफा हुआ था।

2015 और 2017 के बीच जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के पहले चार किस्तों में निवेशकों की ओर से लगाया गया पैसा दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। ऐसे में निवेशकों को रिटर्न सरकार को अपनी जेब से देना पड़ रहा है। 2024-25 के बजट दस्तावेज में यह बताया गया कि इस योजना के तहत सरकार पर निवेशकों की कुल 85,000 करोड़ रुपये की देनदारी है। यह मार्च, 2020 के अंत में 10,000 करोड़ रुपये की तुलना में 8.5 गुना अधिक है।

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