शारदीय नवरात्र: देवी की घटस्थापना में यहां दी जाती थी पांच तोपों की सलामी
- होलकर शासन में राजवाड़ा पर होता था देवी पूजन, 15 दिनों तक रहती थी धूम
इंदौर नगर में नवरात्र पर्व होलकर शासन काल से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। नवरात्र उत्सव राजकीय पर्व था इसलिए होलकरों शासकों द्वारा इसकी शुरुआत राजवाड़ा से की जाती थी। राजवाड़ा नगर के मध्य में होने के साथ राजवंश का प्रमुख स्थल था।
घटस्थापना के पूजन के लिए होलकर महाराजा अपने निवास से शाही लवाजमे के साथ राजवाड़ा आते थे। आरती के समय पांच तोपों की सलामी दी जाती थी। राजोपाध्याय परिवार के प्रमुख द्वारा पूजन करवाया जाता था।
राजकीय परंपरा से देवी पूजन के बाद जोगी-जोगन द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाती थी। इस पूजन का व्यय अहिल्या ट्रस्ट द्वारा वहन किया जाता था। राजबाड़ा के समीप ही पीछे के भाग में प्राचीन नवदुर्गा मंदिर और सामने लक्ष्मी जी का मंदिर है। समीप गोपाल मंदिर, यशोदा मंदिर और बांके बिहारी मंदिर के होने से यह प्रमाण मिलता है कि होलकर राजवंश के राजा पूजन पद्धति में पूर्ण आस्था रखते थे।
होलकर राज्य में मनाए जाने वाले पर्वों के लिए 1929 में एक ग्रंथ प्रकाशित हुआ था। इसमें प्रत्येक पर्व को मनाए जाने का विवरण था। शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्र की पंचमी से श्री जानाई देवी (कुलदेबी) का उत्सव पूर्णिमा तक मनाया जाता था। ये दोनों उत्सव कुलधर्म के अनुसार 15 दिवसीय रहते थे। अष्टमी-नवमी को देवी का उद्यापन किया जाता था। नवरात्र की घटस्थापना प्रतिषदा और श्री जानाई देवी की घटस्थापना पंचमी को होती थी।
इधर, अब सलकनपुर मंदिर ट्रस्ट का नाम लिखे बिना लड्डू बेचे जाएंगे :
सीहोर स्थित सूलकनपुर॒ मंदिर के लड्डू विवाद का समाधान हो गया है । अब मंदिर का लोगो और ट्रस्ट का नाम लिखे बिना लड्डू बेचे जाएंगे। कलेक्टर प्रवीण सिंह ने इस मुद॒दे को सुलझाने के लिए स्व सहायता समूह और मंदिर ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति करवाई। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि प्रसाद की क्वॉलिटी को बनाए रखा जाए। ज्ञात रहे कि स्व सहायता समूह लड़डू के पैकेट पर मंदिर का लोगो और फोटो लगाकर प्रसाद बेच रहे थे। इस पर मंदिर प्रबंधन समिति ने आपत्ति जताई थी।