नवरात्र: गृहस्थ ऐसे करें पूजन

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  • नवरात्र के पूजन विधान में गृहस्थों के लिए कुछे आसान नियम बताए गए हैं। पूरे पूजन विधान का पालन न भी कर पाएं तो इन नियमों का पालन अवश्य करें।


एक वर्ष में चार नवरात्र आते हैं। दो मुख्य और दो गुप्त नवरात्र। जिन लोगों को शक्ति की उपासना करनी हो, उन्हें शारदीय नवरात्र में मां की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। उन दिनों शक्ति की उपासना के साथ ही अपने इष्ट की भी आराधना श्रद्धालुओं को शुभ फल देती है। इसलिए नवरात्र में शक्ति संपन्न देवता, जैसे कि हनुमान जी और भैरव जी की पूजा भी बहुत फलदायी होती है, क्योंकि ये देवता भी देवी के साथ-साथ ही शक्तिशाली माने गए हैं, जो पूजा से शीघ्र ही प्रसन्‍न होते हैं। नौ दिनों तक होने वाली नौ दुर्गा उपासना में सूर्य और चंद्रमा सहित नवग्रहों का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नियम न हो भंग
शास्त्रों में गृहस्थ आश्रम को सबसे अधिक महत्व दिया गया है, क्योंकि इसी आश्रम से सृष्टि का विकास होता है और संस्कारों का विस्तार होता है। इसी आश्रम में व्यक्ति सबसे अधिक व्यस्त रहता है। वह अपनी गृहस्थी की जिम्मेदारियों में ही इतना उलझा रहता है कि ईश्वर की ओर भी पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाता। इसके बावजूद गृहस्थ को थोड़ा समय निकालकर नवरात्र स्थापना कर उपासना करनी चाहिए।

इससे उसके गृहस्थ जीवन में सुख-शांति एवं संपन्‍नता बनी रहती है। गृहस्थ व्यक्ति को जितना ही समय मिले, वह उतने ही समय में नवरात्र में पूजा-पाठ यदि नियम, यम तथा संयम से करे तो मनचाहा फल प्राप्त कर सकता है। यहां नियम का तात्पर्य है कि व्यक्ति नौ दिनों तक अपनी पूजा-पाठ नियम से यानी निश्चित समय पर करे। यदि सुबह 8 बजे ही वह पूजा कर सकता है तो प्रतिदिन सुबह 8 बजे ही करे। इस नियम को खंडित न करे।

नवरात्र में भक्त व्यवस्थित तरीके से व्रत
उपवास करें। उपासना के दौरान या पूरे नौ दिनों तक पवित्रता का ख्याल रखें। मन, वचन तथा कर्मो से शुद्धता बनाए रखें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और खान-पान में भी शुद्धता का ध्यान रखें। भूमि पर सोएं। घर पर ही भोजन करें और घर पवित्र रखें।

नवरात्र करने वाले गृहस्थ को अपने घर में अपनी श्रद्धा एवं क्षमतानुसार व्यवस्था कर लेनी चाहिए। घर में कलश स्थापना कर इष्ट की मूर्ति एवं तस्वीर रख उनसे संबंधित मंत्रों का जाप या पाठ करना चाहिए। अलग-अलग देवताओं के मंत्र जाप तथा पाठ से फल भी अलग-अलग ही मिलते हैं। इसलिए दुर्गा पाठ के साथ यदि हो सके तो अपने इष्ट की आराधना अवश्य करें।

शीघ्र लाभ के लिए
उपासना का शीघ्र फल प्राप्त करने के लिए तंत्र विधान किया जाता है। वैसे भी तंत्र उपासना देवी की ही की जाती है। यदि कोई व्यक्ति थोड़े में ज्यादा लाभ पाना चाहता है तो नवरात्र में देवी की तंत्र पूजा कर सकता है। इसमें ‘क्लीं’ शब्द को तंत्र का बीज मंत्र कहा गया है। इसका सवा लाख जाप करके भी तंत्र साधना की जा सकती है। इसके लिए प्रातःकाल स्नान कर अपने आराध्य और देवी को घी या तेल का दीपक लगाएं, ‘क्लीं’ मंत्र का जाप करें, गुग्गुल का धूप देवी को करें। यह भी न हो सके तो सरसों के तेल के पांच दीपक जलाकर देवी दुर्गा की आरती कर लें। श्रद्धालु को लाभ ही लाभ मिलेगा।

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