Putrada Ekadashi Kab Hai: इस दुर्लभ योग में रखा जाएगा यह एकादशी व्रत
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जानें साल में दो बार आने वाली इस एकादशी की जानें पूजा विधि और मंत्र
Putrada Ekadashi Vrat Hindi: पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक पौष माह की शुक्ल पक्ष में और दूसरी सावन माह के शुक्ल पक्ष में। एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का वहीं महत्व है जितना त्रियोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा
का।
इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा। इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि पति-पत्नी के एक साथ पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के पुण्य के बराबर मिलता है। साथ ही संतान से जुड़ी मनोकामना पूरी होती है और संतान के कार्यों की बाधा दूर होती है।
पुत्रदा एकादशी का क्या है महत्व (Paush Putrada Ekadashi Mahatv)
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और भगवान विष्णु मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोनों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही लंबे समय से रूके काम पूरे होते हैं।
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पौष पुत्रदा एकादशी पर ये विशेष योग (Paush Putrada Ekadashi Yog)
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी 2025 अत्यंत कल्याणकारी है। इस दिन दिन भर ब्रह्म योग का विशेष संयोग रहेगा। शास्त्रों में इस शुभ संयोग में दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस पवित्र अवसर पर व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
कब है पौष पुत्रदा एकादशी (Ekadashi Kab Hai)
ज्ञात हो कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस साल पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे होगी।
ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat Vidhi Hindi)
1.पुत्रदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
4. दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर श्रीकृष्ण का भी अभिषेक करें और विधिवत पूजा करें।
विष्णु-लक्ष्मी की पूजा (Vishnu Lakshami Puja Vidhi Hindi)
1. पुत्रदा एकादशी की सुबह घर के मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।2. इसके बाद शंख में जल और दूध लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें और भगवान को चंदन का तिलक लगाएं।
5. गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और भगवान की आरती करें।
8. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।