Ekadashi 2025: साल 2025 में कब कौन सी एकादशी पड़ेंगी
- एकादशी से जुड़ी हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं…
हिन्दू धर्म में कुछ विशेष त्योहारों और तिथियों का बहुत महत्व होता है। इसमें एकादशी सबसे महत्वपूर्ण तिथि में से एक मानी जाती है। एकादशी का व्रत या उपवास करना बहुत जरूरी मानी जाता है। यह तिथि हिन्दू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को होती है, इसलिए इसे ग्यारस भी कहा जाता है। यह तिथि हर महीने में दो बार होती है, कारण यह है कि हिंदू कलैंडर का हर माह दो पक्ष में होता है और हर पक्ष में एकादशी तिथि आती है। हर माह में एकादशी पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आती है वहीं दूसरी एकादशी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आती है। हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि एकादशी व्रत लगभग 48 घंटों तक चलता है क्योंकि उपवास एकादशी की पूर्व संध्या पर शुरू होता है और एकादशी (Ekadashi) के अगले दिन सूर्य के उदय होने तक रहता है।
एकादशी व्रत का शास्त्रों में अत्याधिक महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Graras Vrat) को सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस व्रत को रखने वालों के लिए कुछ सख्त नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, सभी नियमों का पालन करता है और इस उपवास को श्रध्दा से रखता है वह निश्चित ही इसके अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है।
हर महीने में दो एकादशी होती है। प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना महत्व है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत की बड़ी महिमा है। एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य देव का पूजन व वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी व्रत कहलाता है। सभी
व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यज्ञ,हवन, जप-तप व समस्त वैदिक कर्म कांड से भी ज्यादा फल देने वाला होता है एकादशी व्रत। पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, ‘एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है’। विशेष नक्षत्रों के योग से यह तिथि जया, विजया व पापनाशिनी एकादशी अादि नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक चले जाते हैं। आईये जानते हैं 2025 में महीने अनुसार एकादशी व्रत की तिथियां।
वर्ष 2025 में पड़ने वाली एकादशी तिथियां
एकादशी के व्रत की कथा
हर व्रत को मनाये जाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक वजह होती है। एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी कई कहानियां है। प्रत्येक एकादशी की अपनी कहानी है। हर व्रत के लिए अलग से कहानी दी गई है।
एकादशी मंत्र
एकादशी पूजा के दौरान, भगवान विष्णु का मंत्र का जाप किया जाता है:
‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’
इसके साथ ही हरे कृष्ण महामंत्र का 108 बार जप करने की भी सलाह दी जाती है।
मंत्र है:
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे या हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।”
इस तिथि पर भक्तजन सुबह और शाम की पूजा के समय एकादशी माता की आरती भी करते हैं।
एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि के दिन, भगवान विष्णु की पुजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी तिथि (Ekadashi Tithi) श्री भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यही वजह है कि एकादशी का व्रत सभी व्रतों में खास और काफी प्रभावशाली होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मौत के भय का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को महाभारत काल में बताई गई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिल सकता है और सभी कार्य होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही दरिद्रता से निजात मिलता है। अगर आपको अकाल मृत्यु का भय सताता है तो यह व्रत आपको काफी हद तक इस भय से निदान दिलाएगा। धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद भी इस व्रत से प्राप्त होता रहता है।
एकादशी व्रत की पूजा विधि
एकादशी व्रत रखने का नियम बहुत ही सख्त होता है जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना होता है। यह व्रत किसी भी आयु का व्यक्ति और किसी भी लिंग का व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से रख सकता है। एकादशी व्रत रखने वाले लोगों को दशमी (एकादशी से एक दिन पहले) के दिन से कुछ जरूरी नियमों को पालना करना चाहिए। दशमी के दिन से ही व्रत रखने वाले व्यक्ति को मांस-मछली, प्याज, दाल (मसूर की) और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और रात के समय भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
एकादशी के दिन सुबह दांत साफ़ करने के लिए ब्रश के लिए लकड़ी का दातून इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आप इस दिन जामुन, नींबू या फिर आम के पत्तों को चबाकर मुँह साफ़ कर सकते हैं और अपनी उँगली से कंठ(गले) को साफ कर सकते हैं। इस दिन वृक्ष से पत्ते तोड़ना भी अशुभ माना जाता है इसीलिए आप स्वयं से नीचे गिरे हुए पत्तों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। आप सादे पानी से कुल्ला कर सकते हैं।
स्नान करने के बाद आप मंदिर में जाकर गीता का पाठ कर सकते हैं।
इस व्रत के दौरान, भगवान विष्णु का स्मरण और उनकी प्रार्थना करें। सच्चे मन से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:” मंत्र का जप करें। इस दिन दान का भी महत्व है इसीलिए अपनी यथाशक्ति दान भी कर हैं।
एकादशी के अगले दिन को द्वादशी के नाम से जाना जाता है। द्वादशी दशमी और बाक़ी दिनों की तरह ही आम दिन होता है। इस दिन सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और सामान्य भोजन को खाकर व्रत को पूरा करते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान और दक्षिणा आदि देने की मान्यता है। ध्यान रहे कि श्रद्धालु त्रयोदशी आने से पहले ही व्रत का पारण कर लें। इस दिन कोशिश करनी चाहिए कि एकादशी व्रत का नियम पालन करें और उसमें कोई चूक न हो।
एकादशी के दिन याद रखें ये बातें
क्रोध का त्याग करें: हर मिलने जुलने वाले इंसान से बहुत प्यार से और मीठेपन से बात करें। एकादशी व्रत के दिन आपको किसी भी व्यक्ति पर क्रोध नहीं करना चाहिए। यदि किसी की बात पर बिना वजह से आपको गुस्सा आ भी रहा है तो आप उस पर कंट्रोल करें।
भोजन करते समय में इन चीज़ों का सेवन न करें: एकादशी उपवास के दिन मांस, मछली, लहसुन, प्याज आदि वस्तुओं का सेवन प्रयोग न करें। अपने भोजन में इन वस्तुओं को शामिल भी न करें क्योंकि इनके सेवन से आपका व्रत ख़राब हो जाएगा।
ब्रह्मचर्य का करें पालन: यदि आप यह चाहते हैं कि आपका व्रत संपूर्ण हो जाए तो इसके लिए आपको पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा। रात्रि के समय आपको भोग-विलास से पूरी तरह दूर रहना होगा।
मंदिर में जाएं: जब आप स्नान कर लें तो उसके बाद आप मंदिर में जाएं और वहां जाकर गीता का पाठ करें। इसके अलावा यदि आप चाहें तो पुरोहित जी से भी गीता पाठ को सुन सकते हैं।
भगवान के सामने प्रण लें: भगवान के सामने खड़े होकर इस बात का प्रण लें कि किसी भी व्यक्ति का दिल नहीं दुखायेंगे तथा रात होने पर कीर्तन और जागरण में अपना समय व्यतीत करेंगे। उसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि हे प्रभु मुझे मेरा प्रण पूरा करने की शक्ति दें ।
बाल नहीं कटवाने चाहिए: इस दिन आपको अपने बाल बिल्कुल भी नहीं कटवाने चाहिए। यदि आपके बाल बहुत अधिक बढ़ रहे हैं तो आप इस दिन से पहले ही अपने बाल कटवा लें।
इन फलों का करें उपयोग: आप इस दिन केला, आम और अंगूर जैसे मीठे फलों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही आप बादाम तथा पिस्ता भी प्रयोग कर सकते हैं। याद रखें इन चीज़ों के अलावा किसी दूसरी तरह की खाद्य सामग्री को ग्रहण न करें।
एकादशी पर न करें यह काम?
वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए ।
घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि घर में झाड़ू आदि लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का खतरा रहता है और इस दिन जीव हत्या करने से जीव हत्या का पाप लग सकता है।
एकादशी के दिन चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति द्वारा दिया हुआ अन्न नहीं खाना चाहिए।
मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं आना चाहिए।