दिवाली 2024 की अबुझी पहेली का हुआ खुलासा, जाने कब क्या करना है?

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  • कब मनाएं दिवाली… इसको लेकर हर सवाल का है यहां उत्तर…

दिवाली पर साल 2024 में बनी स्थिति कई सालों के बाद निर्मित हुई है, ऐसे में ज्योतिष व धर्म के जानकारों का मानना है इस अबुझ स्थिति ने ही दिवाली किस दिन मनाएं जैसी स्थिति को खड़ा किया है। दिवाली मनाने को लेकर इस साल बनी विचित्र स्थिति को लेकर देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा के प्रसि​द्ध पंडित व ज्योतिष के जानकार पंडित कमल तिवारी का कहना है कि, इस बार भले ही 1 नवंबर से प्रतिपदा लग रही है, लेकिन स्वाति नक्षत्र में महालक्ष्मी की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। और अमावस्या भी 1 नवंबर 2024 तक है, वहीं महालक्ष्मी की पूजा के लिए स्वाति नक्षत्र व प्रदोष काल श्रैष्ठ माना जाता है, ऐसे में 01 नवंबर को शाम 06.17 बजे देवी की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त है। अत: देवी माता की पूजा 01 नवंबर को ही किया जाना हर लिहाज से उचित है। वहीं इसके कुछ समय बाद तिथि में बदलाव हो जाएगा।

वहीं दिवाली पर चलाए जाने वाले पटाखों के संबंध में कई जानकारों का मानना है कि यह 31 अक्टूबर से चूंकि अमावस्या लग जाएगी, ऐसे में इस रात में पटाखे चलाए जा सकते हैं।

वहीं पंडित कमल तिवारी का यह भी कहना है कि घटी—पला के हिसाब से भी दिवाली के पूजन में 01 नवंबर को प्रदोष काल का मिलना इस दिन ​ही मां लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष बन रहा है। इनका यह भी कहना है कि आज कल केवल कब से कब तक तिथि है इसी आधार पर कई जगह त्योहार की पूजा का विश्लेषण कर दिया जाता है, जबकि कौन सी तिथि कितनी घटी—पला की है इस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। यहीं कारण है कि अब त्यौहारों को दो दिन दिखा दिया जाता है। जबकि यदि गणना घटी के आधार पर की जाए तो इसका सटिक वर्णन कर त्यौहार एक ही दिन में समाहित हो जाता है।

इनके अलावा अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले विद्वान गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने काशी विद्वत परिषद से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है। गनेश्वर शास्त्री ने कहा कि पांच प्रमुख पंचागों में से तीन ने एक नवंबर को दिवाली मनाने की बात कही है। 01 नवंबर को उदया तिथि में प्रदोष और सूर्यास्त के बाद अमावस्या भी मिल रही है। इसके साथ ही स्वाति नक्षत्र मिल रहा है, जो कि महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वोत्तम है।

वहीं दूसरी ओर श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग के अनुसार भी 01 नवंबर को दिनमान 27 घटी 23 पल हैं. उस दिन अमावस्या 29 घटी 32 पल हैं। ऐसे में लक्ष्मीपूजन 01 नवंबर को होगा।

 

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