‘जल्द सस्ता हो सकता है कच्चा तेल’
- पश्चिम एशिया में तनाव के बीच पेट्रोलियम मंत्री बोले
पश्चिम एशिया में तनाव के बीच पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, दुनिया के पास पर्याप्त कच्चा तेल है। ब्राजील और गुयाना जैसे देशों से बाजार में अधिक आपूर्ति हो रही है। इससे कच्चे तेल के दाम जल्द कम होने की उम्मीद हैं।
पुरी ने मंगलवार को कहा, वैश्विक स्तर पर तनाव के कारण संघर्ष वाले क्षेत्रों से बचने के लिए माल ढुलाई व तीमा शुल्क बढ़ जाता है। इससे कीमतें बढ़ जाती हैं। उपलब्धता को लेकर चिंता नहीं है। हम समस्या से पार पाने को ले
आश्वस्त हैं।
चीन के प्रोत्साहन पैकेज से कच्चे तेल में उछाल
बताया जाता है कि पश्चिम एशिया में तनाव की चिंताओं के बीच अपनी जीडीपी को मजबूती देने के लिए चीन की ओर से किए गए प्रोत्साहन उपायों से विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई। ब्रेंट क्रूड 0.6% को बढ़त के साथ 74.72 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। डब्ल्यूटीआई क्रूड में 0.7% तेजी रही।
भारत में कच्चा तेल
ज्ञात हो कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव (Israel-Iran War) के कारण कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में अक्टूबर में करीब 12 फीसदी का उछाल देखा गया है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में भारत पर तेल आयात का दबाव बढ़ने की आशंका है। इस साल 30 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 71.81 डॉलर प्रति बैरल थी जो 7 अक्टूबर को बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई।
साल के अंत तक थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद
वहीं जानकारों का यह भी कहना हे कि ओपेक के सदस्य देशों, और रूस तथा कुछ अन्य पेट्रोलियम उत्पादक देशों के इस साल दिसंबर से उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद है। इससे इस साल के अंत तक थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है
कच्चे तेल की कीमतों में क्यों आ रही तेजी?
हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल (Israel Hezbollah War) की कार्रवाई में अब ईरान के इजरायल (Iran-Israel War) के खिलाफ खड़े होने से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ रही है। ईरान समेत पश्चिम एशिया के देश पेट्रोलियम के बड़े निर्यातक हैं। इस क्षेत्र में लड़ाई बढ़ने का मतलब है आपूर्ति पक्ष पर नकारात्मक प्रभाव. इससे कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं।
कच्चे तेल के दाम बढ़ने का भारत पर असर?
कच्चे तेल के दाम बढ़ने का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि देश के आयात में सबसे बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम और कच्चे तेल का है। दरअसल, भारत शुद्ध रूप से पेट्रोलियम आयातक देश है। यानी कच्चे तेल और एलएनजी-पीएनजी जैसे उत्पादों के लिए हम आयात पर निर्भर करते हैं। भले ही सरकार ऊर्जा के दूसरे विकल्पों को अपना कर आयात पर निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है, लेकिन फिलहाल ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है।