शेयर बाजार और भारतीय युवा

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई के पिछले दिनों जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों में देश के शेयर बाजार में युवा निवेशकों की संख्या जबर्दस्त ढंग से बढ़ी है। जो देश के वित्तीय बाजारों व अर्थव्यवस्था, दोनों के भविष्य के हिसाब से उत्साहजनक है।

जैसा की एनएसई के आंकड़े बताते हैं, कुल निवेशकों का प्रतिशत मार्च, 2018 के महज 22.9 फीसदी से बढ़कर अब अगर करीब चालीस फीसदी के आसपास पहुंचा है, तो देश की डिजिटल क्रांति इसकी एक बड़ी वजह रही है। दरअसल, इंटरनेट व स्मार्टफोन की व्यापक पहुंच ने शेयर बाजार में ट्रेडिंग को पहले से कहीं ज्यादा सुलभ बना दिया है।

आज मोबाइल एप के जरिये कुछ ही क्लिक में किसी के लिए भी शेयर खरीदना और बेचना मुमकिन है। साथ ही, जीरो ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स ने इसकी लागत को भी घटाया है, जिससे बड़ी संख्या में युवा वित्तीय बाजारों की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित हुए हैं।

निवेशकों की संपत्ति इस साल 111 लाख करोड़ बढ़ी

प्रधानमंत्री मोदी के स्व-रोजगार के आह्वान से प्रेरणा लेकर युवा सिर्फ नौकरी के पीछे भागनाछोड़, आर्थिक स्वतंत्रता के नए वैकल्पिक रास्तों की भी तलाश कर रहे हैं। जाहिर है कि शिक्षा के बढ़ते स्तर और वित्तीय जागरूकता अभियानों के चलते युवाओं का रुझान पारंपरिक बचत योजनाओं के बजाय इक्बिटी, म्यूचुअल फंड और अन्य निवेशों की तरफ बढ़ा है।

ऐसे में, शेयर वाजार उन्हें एक ऐसा मंच देता है, जहां वे उद्यमशीलता के विकास के साथ आर्थिक समृद्धि की ओर भी बढ़ सकते हैं। सोशल मीडिया और यू-ट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म भी वित्तीय शिक्षा और शेयर बाजार से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।

युवा स्वाभाविक रूप से तेजी से परिणाम चाहने वाले होते हैं। लिहाजा शेयर बाजार में कम अवधि में अच्छा मुनाफा कमाने के अवसर, भले ही उनमें जोखिम हो, युवाओं को आकर्षित करते हैं। शेयर बाजार में युवाओं की बढ़ती भागीदारी वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए निश्चित ही सकारात्मक संकेत है।

बाजार में इस समय तेजी का रुझान: शेयर बाजार के घोड़े पर सवार होने से पहले पोर्टफोलियो को एक्टिव कर लें

यह उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र और देश की अर्थव्यवस्था का सक्रिय हिस्सा तो बना ही रही है, इससे यह भी साबित होता है कि डिजिटलीकरण के युग में पली-बढ़ी पीढ़ी नए दौर के वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम है। लेकिन, शेयर बाजार में कामयाबी धैर्य और अनुशासन की भी मांग करती है।

ऐसे में, इसके असल फायदे तभी सामने आएंगे, जब वे वित्तीय अनुशासन और निवेश के बुनियादी नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़ें। तभी युवाओं की ऊर्जा को समग्रता में राष्ट्रीय आर्थिक प्रगति की ओर मोड़ा जा सकेगा।

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