Gopinath Temple Holi: ऐसा मंदिर जहां भोलेनाथ संग होली खेलने पहुंचती है, होल्यारों की टोली

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  • अनूठे ढंग से मनाई जाती है होली

होली पर्व यूं तो देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन चमोली जनपद के गोपेश्वर में होली पर्व अनूठे ढंग से मनाया जाता है। यहां गांव-गांव से पहुंची होल्यारों की टोली भगवान गोपीनाथ के मंदिर में होली मनाने पहुंचते हैं। इस दौरान मंदिर की रंगत देखते ही बनती है। दिनभर भोलेनाथ संग होली खेलने के बाद टोलियां अपने-अपने क्षेत्र के लिए लौट जाती हैं। लंबे समय से यहां यह परंपरा चल रही है।

स्थानीय मान्यता है कि गोपीनाथ मंदिर क्षेत्र में ही श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष होली पर्व अनूठे ढंग से मनाया जाता है। नगर क्षेत्र के साथ ही समीपवर्ती गांवों से होल्यारों की टोली मंदिर में पहुंचती हैं। यहां भगवान गोपीनाथ को अबीर, गुलाल अर्पित करने के बाद सभी टोलियां मंदिर परिसर में एकत्रित होती हैं। जिसके बाद यहां लाउडस्पीकर और पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊं की थाप पर होल्यार झूमकर नाचते हैं।

दिनभर होली के गीतों पर लोग थिरकते रहते हैं। गोपेश्वर गांव के क्रांति भट्ट का कहना है कि गोपीनाथ मंदिर की होली अनूठी है। यहां की होली भोलेनाथ को समर्पित होती है। कहा कि जिस तरह ब्रज में कान्हा के साथ होली मनाई जाती है, उसी तरह गोपेश्वर में होल्यार गोपीनाथ भगवान के संग होली खेलते हैं। यह क्षण दिव्य और भव्य होते हैं।युवा-युवतियों में होली का क्रेज

गोपीनाथ मंदिर परिसर में होली मनाने के लिए युवा-युवतियां अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। वे अपने मोहल्लों में होली खेलने के बाद मंदिर परिसर में पहुंचते हैं और यहां होली गीतों पर जमकर थिरकते हैं। इस दौरान अबीर, गुलाल भी उड़ाया जाता है। गोपीनाथ मंदिर समिति की ओर से परिसर में होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

इस मंदिर में रखा है: भगवान शिव का त्रिशूल

Gopinath Mandir Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड के गोपेश्वर में गोपीनाथ मंदिर एक ऐसा विशेष मंदिर है, जहां के संबंध में मान्यता है कि यहां भगवान शिव का त्रिशुल है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है और यहां दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर में पूरे सालभर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है और कावड़ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या और ज्यादा बढ़ जाती है। इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासकों ने नौवीं और ग्यारहवी शताब्दी के बीच किया था। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से…

उत्तराखंड के चमोली जिले में है यह मंदिर
गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में है। यह शिव मंदिर गोपेश्वर में है। यह जगह बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम की पैदल मार्ग का केंद्र बिंदु है। इस मंदिर का संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है। इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है, वहीं मंदिर कला हिमाद्री शैली में है। इस मंदिर में ऐसे अभिलेख मौजूद हैं जिससे नेपाली शासकों का भी संबंध है। मंदिर में नेपाल के राजा अनेकमल से जुड़े अभिलेख भी हैं। पंचकेदारों के बाद इस मंदिर का बेहद धार्मिक महत्व है और यह काफी प्रसिद्ध है।

यह है मंदिर की विशेषता
: इस मंदिर प्रांगण में शिव का 5 मीटर लंबा त्रिशूल रखा हुआ है।
: इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है जो मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित है।
: मंदिर में परशुराम व भैरव जी की भी प्रतिमा है।
: मान्यता है कि त्रिशुल को अगर तर्जनी उंगली से छुआ जाए तो उसमें कंपन्न होता है।
: वहीं गोपीनाथ मंदिर से ही कुछ दूरी पर वैतरणी कुंड है। इस मंदिर में श्रद्धालु पहाड़ी शैली की भवन कला देख सकते हैं।
: खास बात है कि श्रद्धालुओं के लिए इस मंदिर के कपाट वर्षभर खुले रहते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि जब कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने की कोशिश की थी तो शिव ने उन्हें मारने के लिए जो त्रिशूल फेंका था वह यहां आज भी है। मान्यता है कि यह त्रिशूल इसी स्थान पर स्थापित हो गया था। ऐसी भी लोक मान्यता और पौराणिक मान्यता है कि जब शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था तो उनकी पत्नी रति ने गोपेश्वर में तपस्या की थी।

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