Uttarakhand: ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों की होगी जांच, सीएम धामी सरकार तैयार

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cm dhami held a meeting regarding law and order
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देवभूमि उत्तराखंड में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बने सभी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों की जांच होगी। इस दौरान गलत तरीके से बनवाए गए प्रमाणपत्र निरस्त किए जाएंगे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में बुधवार को सभी प्रमुख सचिव, सचिव, कमिश्नर और डीएम को जांच तथा सत्यापन के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के दुरुपयोग को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। संज्ञान में आया कि ऐसे लोगों के भी प्रमाणपत्र बना दिए जा रहे हैं, जो वास्तव में पात्र नहीं हैं।इस अनियमितता को रोकने के लिए जांच कराने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में जहां पुराने प्रमाणपत्रों की जांच होगी वहीं, नया सर्टिफिकेट जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से स्थलीय निरीक्षण करना होगा। इसका सत्यापन भी तहसीलदार स्तर के सक्षम प्राधिकारी से कराया जाए। इसके बाद सभी मानक पूरे करने वाले व्यक्ति का आय एवं संपत्ति प्रमाणपत्र बनाया जाए।

रतूड़ी ने कहा कि यदि जांच में यह पाया गया कि आय एवं संपत्ति प्रमाणपत्र अवैध तरीके या नियमविरुद्ध बना है, तो कार्रवाई होगी। अवैध प्रमाणपत्र को तत्काल निरस्त करेंगे। साथ ही संबंधित व्यक्ति और प्रमाणपत्र जारी करने वाले अफसर के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग रोकने के लिए उठाया कदम: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि आय एवं संपत्ति प्रमाणपत्रों की जांच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू कराई जा रही है। संबंधित शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने सख्त कदम उठाने के निर्देश थे। उधर, भाजपा नेता रविंद्र जुगरान की ओर से भी इस मामले में मुख्य सचिव और सचिव स्वास्थ्य से 30 दिसंबर को जांच की मांग की गई थी। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही जांच बैठा दी थी।

आरक्षण का लाभ: पढ़ाई और नौकरी में मिलता है 

उत्तराखंड में वर्ष 2019 से ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस प्रमाणपत्र से नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों की भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा-3 की उपधारा (2) (ख) के तहत ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र को लेकर सख्त प्रावधान हैं। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के व्यक्ति के परिवार की सभी स्रोतों से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए। आय भी लाभार्थी के आवेदन के वर्ष से पूर्व वित्तीय वर्ष की होनी चाहिए।

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