Uttrakhand : सत्ता व पद के मद में चूर सरकार व अधिकारी! जनता की जान से खेल रहे बाजी

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  • खतरनाक हो गई है उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) से देवभूमि की यात्रा

देवभूमि उत्तराखंड का परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा में दिखाई देता है। तभी तो पर्वतीय मार्गों में चलाई जा रही बसें कभी भी बीच राह में धोखा दे दे रहीं हैं। सरकार व निगम का गैर जिम्मेदाराना रवैया इस कदर बढ़ गया है। कि बसों के खटारा होने व रास्ते में चलते चलते खराब हो जाने की तमाम बातें सामने आने के बावजूद इस ओर किसी प्रकार की कार्रवाई करने की कोई तकलीफ उठाना ही नहीं चाहता।

सरकारों की अकर्यमण्ता के चलते यहां के यात्रियों की जान जाने का लगातार डर बना हुआ है। और सरकार व विभाग के अधिकारी हैं कि एक ऐसी नींद या यूं कहे एक ऐसे घमंड में झूम रहे हैं कि वे कुछ भी करें लेकिन सत्ता में सुरक्षित बने रहेंगे। लोगों का तो यहां तक कहना है कि यही स्थिति बनी रही तो सरकार के इस घमंड का खामियाजा भविष्य में मोदी की केंद्र सरकार को भी उठाना पड़ सकता है।

यहां ये भी जान लें कि परिवहन निगम की ओर से पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसी बसें चलाई जा रहीं हैं, जो कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकतीं हैं। ऐसे बातें कई बार समाने आने के बावजूद राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती दिख रही। जिसके चलते जहां एक ओर जनता में वर्तमान सरकार को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है तो वहीं लोगों का ये भी मानना है कि यदि इस स्थिति के चलते कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है। तो आगामी चुनाव में राज्य की सरकार तो बदलेगी ही साथ ही हर बार कि तरह अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से सभी 5 सीटें जीतने के लाले पड़ जाएंगे।

ऐसे समझें मामला
दरअसल शनिवार 17 अगस्त को देहरादून से अलमोड़ा जा रही बस एक बार फिर बीच रहा में खराब हो गई, जिसके चलते इस बस में यात्रा कर रहे अनेक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक यह घटना देहरादून से हरिद्वार के बीच में हुई जहां बस का वाटर पंप फट गया, वहीं इंजन बैल्ट टूट गई। ऐसे में गनीमत बस यह रही कि यह स्थिति यहीं आ गई, जानकारों का मानना है कि यदि यह स्थिति पहाड़ में चढ़ते समय सामने आती तो ये एक बड़े हादसे का कारण बन सकती थी। जिसके चलते जान व माल की हानि होने के साथ ही सरकार को भी जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ता।

 

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इसी तरह के कई मामले पूर्व में भी सामने आ चुके हैं, लोगो के अनुसार जिनकी ओर न तो सरकार द्वारा किसी तरह से ध्यान दिया गया और न ही कार्रवाई की गई है। जिससे परिवहन विभाग की बसों में यात्रा करना अब डरावना बन गया है। जिससे खुद ड्राइवर व कंडेक्टर भी भय में हैं। पूर्व मे भी जब ऐसी घटनाएं सामने बाईं थी तब इनका तो यहां तक कहना थ्रा कि हम अनेक बार खटारा बस के संबंध में अधिकारियों को बता चुके हैं। यूं तो सूत्रों के अनुसार सरकार की ओर से कई बार शिकायत आने पर परिवहन विभाग के कर्मचारियों को ये आश्वासन दिया जा चुका है कि जल्द ही नई बसें आएंगी। लेकिन ये वादे का चुरन लगभग 2 सालों से जारी है, पर अब तक कुछ हुआ नहीं है।

इस बस में मौजूद कई लोगों का कहना है कि हमारी मजबूरी है कि हम परिवहन विभाग की बस में यात्रा कर रहे हैं। लेकिन अब तो हमारी जान पर बनती दिख रही है। और सरकार व परिवहन विभाग है कि ऐसा लगता है हमारी जान लेने पर ही तुला हुआ है। ये तो उपर वाले की कृपा है कि हम अब तक सुरक्षित हैं, वरना इन्होंने तो कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी।

इस घटना के बाद जहां एक ओर यात्री सड़क के कोने में बैठने को मजबूर हो गए, और परेशान होते रहे। वहीं कई अपने कई कार्यों के बस के खराब होने से छूट जाने से परेशान होने की बात कहते दिखे। यहां तक की कुछ युवा तो नौकरी देने की परीक्षा देने के लिए जा रहे थे वे भी बस के खराब होने से अपनी नौकरी की परीक्षा में नहीं पहुंच पाने की चिंता को लेकर तनावग्रस्त दिखे।

वहीं इस संबंध में जब कुछ जानकारों से बात की गई तो उनका कहना था कि इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा सरकार ने सड़कों की स्थिति को सुधारा है, लेकिन सरकार को ये भी समझना होगा कि केवल सड़कों को बेहतर बनाने से ही कुछ नहीं होता सड़कों पर चलने वाले साधन भी दुरुस्त होने चाहिए न कि उत्तराखंड परिवाहन निगम की बसों की तरह खटारा, कारण किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने पर जनता इसका भविष्य में बदला लेने से भी भाजपा से नहीं चुकती।

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