सेवा के नोडल अधिकारी डाॅ. जितेंद्र गैरोला ने बताया कि एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा फरवरी 2024 में शुरू हुई थी। अब तक इस सेवा की 162 से अधिक उड़ानें हो चुकी हैं। जिसके माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों से ब्लड सैंपल एम्स लाए जाने के साथ ही टीबी व अन्य बीमारी की दवाइयां दूरस्थ क्षेत्रों को भेजे गए हैं।
रूटीन ओपीडी से भी जोड़ी जाएंगी ड्रोन मेडिकल सेवा
दूरस्थ क्षेत्रों में अस्पतालों की रूटीन ओपीडी से भी एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा को जोड़े जाने की योजना है। सेवा के नोडल अधिकारी डाॅ. जितेंद्र गैरोला ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्र के अस्पतालों के मरीजों को टेलीमेडिसन के माध्यम से एम्स के चिकित्सक डायग्नोस करेंगे। यदि मरीजों को किसी दवाई या जांच की जरूरत होगी तो ड्रोन के माध्यम से दवाइयां मरीज तक पहुंचाई जाएंगी और मरीज का ब्लड सैंपल ड्रोन के माध्यम से एम्स आएगा। शुल्क का भुगतान मरीज क्यूआर कोड के माध्यम से करेगा।
हब एंड स्पोक मॉडल की तर्ज पर होगा विकसित
एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा को हब एंड स्पोक मॉडल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। एम्स हब के रूप में कार्य करेगा। जबकि अन्य स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में एम्स से जुड़ेंगे। भविष्य में टिहरी के फकोट, पिल्खी और यमकेश्वर को भी इस सेवा से जोड़ा जाएगा। अभी तक इस सेवा का सबसे अधिक फायदा सीएचसी चंबा ने उठाया है। शुक्रवार को भी सीएचसी चंबा से ब्लड सैंपल एम्स लाए गए।
एम्स का ड्रोन मॉडल प्रमुख जर्नल में प्रकाशित
एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा का मॉडल पूरे देश में बेहतर साबित हो रहा है। खास तौर पर दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में यह सफल साबित हो रहा है। डाॅ. जितेंद्र गैरोला ने बताया कि ड्रोन मेडिकल सेवा का रिसर्च पेपर जर्नल ऑफ फेमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर इंडिया, जर्नल ऑफ कम्युनिटी हेल्थ व एम्स के जर्नल ऑफ मेडिकल एविडेंस में प्रकाशित हुआ है।
एम्स ऋषिकेश निदेशक प्रो. मीनू सिंह का कहना है कि,एम्स नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा से हर आदमी को जोड़े जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को इस सेवा का अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं।