UTTARAKHAND : सितंबर में लगेगा देवभूमि का सबसे सुंदर मेला

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  • जानिये कब और कहां होगा शुरु
maa nanda devi mela 2024
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उत्तराखंड में कई सुंदर मेले होते हैं, लेकिन नंदा देवी मेला को सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बताते चलें कि नंदा देवी मेला उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है और इसे पिछले 1000 वर्षों से मनाया जा रहा है। इस मेले में देवी नंदा और सुनंदा की पूजा की जाती है। साथ ही इसमें भव्य झांकियां, लोक नृत्य, और पारंपरिक गीतों की प्रस्तुतियां होती हैं। इस मेले के दौरान बाजार भी सजाया जाता है, जिसमें हस्तशिल्प, खाने-पीने की चीजें, और झूले होते हैं।

नंदा देवी मेला देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र का प्रमुख त्यौहार है। हर साल नंदा देवी (जिन्हें माता पार्वती की बहन भी माना जाता है) के आदर में इस मेले का आयोजन किया जाता है।

मेले की शुरुआत के संबंध में जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार इस साल नैनीताल में प्रसिद्ध नंदा देवी महोत्सव का प्रारंभ 8 सितंबर से होने जा रहा है। इस दौरान यहां अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होगा जो 8 दिनों तक चलेंगे।

आपको यह जानकारी भी दे दें कि मुख्य रूप से कुमाऊँ में नंदा देवी मेला स्थानीय लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। वहीं कुमाऊँ की प्रमुख देवी मां नंदा सुनंदा के सम्मान में इस मेले का बड़े धूमधाम से करीब 1000 वर्षों से आयोजन किया जा रहा है।

खास बात ये है कि इस मेले में दूर-दूर से लोग शामिल होने आते हैं। मेले की शुरुआत अत्यधिक धूमधाम से की जाती है। इस दौरान यहां हर रोज पूजा और लोक कला की प्रस्तुतियां होती हैं।

इसके अलावा मेले में भव्य झांकियां और परेड भी आयोजित की जाती है। जिसमें देवी देवताओं की मूर्तियां सजायी जाती हैं।

इस दौरान यहां लोक कलाकार अलग-अलग पारंपरिक गीत और नृत्यों की प्रस्तुति करते हैं। और इसमें स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाते हैं।

इस मेले के समय बड़े बाजार को खूब सजया जाता है। जिसमें बड़े—बड़े झूले आते हैं। साथ ही यहां खाने की अनेक दूूकानें लगने के अलावा इस बाजार में हस्तशिल्प और कई सारे अलग—अलग सामान बेचे जाते हैं।

इस मेले में हर रोज मां नंदा सुनंदा की पूजा आरती की जाती है। जो इस मेले का मुख्य आकर्षण होता है। यहां श्रद्धालु भक्तिभाव से देवी की पूजा, दर्शन कर आशीर्वाद की कामना करते हैं।

इस साल नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत 8 सितंबर से होगी जिसके आठवें दिन यानि 15 सितंबर को देवी की पूजा के पश्चात 12 बजे से देवी की शोभा यात्रा निकाली जाएगी। और फिर शाम करीब 7 बजे विसर्जन कर मां को विदा किया जाएगा।

कुमाऊं की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा सुनंदा

इस भव्य महोत्सव का आयोजन नैनीताल की सबसे पुरानी संस्था श्री राम सेवक सभा द्वारा विगत कई सालों से निरंतर किया जा रहा है। इस दौरान नैनीताल स्थित नयना देवी मंदिर में कुमाऊं की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति तैयार की जाती है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन
ऐसे में नंदाष्टमी के दिन मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के दर्शन के लिए खोली जाती है। आपको बताते चले कि नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण खास कदली के पेड़ से किया जाता है। जिसे महोत्सव के शुरुआत में ही नैनीताल के निकटवर्ती जगह से लाया जाता है। जहां पूरे शहर में शोभा यात्रा निकालकर अंत में नयना देवी मंदिर प्रांगण में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है।

उस शाम ही इस पेड़ से मां की सुंदर मूर्ति पारंपरिक लोक कलाकारों द्वारा तैयार की जाती है। मान्यताओं के अनुसार कदली यानी केले के पेड़ में मां नंदा सुनंदा का वास है। इसके साथ ही केले का पेड़ बेहद पवित्र होता है। यही वजह है की मूर्ति निर्माण में केले के पेड़ का प्रयोग किया जाता है।

दरअसल नंदा देवी महोत्सव कुमाऊं की संस्कृति से जुड़ा हुआ है। जहां मां नंदा सुनंद कुमाऊं के चंद राजवंश से जुड़ी हुई हैं। बताया जाता है कि नंदा देवी महोत्सव का आधार केला है। जिस गांव से केले का पेड़ लाया जाता है, वहां से केले के पेड़ के चयन की प्रक्रिया भी बेहद खास है। इसके लिए स्वच्छ पर्यावरण में केले के पेड़ का होना जरूरी है।

साथ ही जिस पेड़ को लाया जाता है। उसमें केले के फल नहीं लगे होने चाहिए और उसकी पत्तियां भी कटी फटी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद विधि विधान से कदली के वृक्ष का चयन किया जाता है। इस साल नैनीताल के निकटवर्ती थापला गांव के रोखड़ ग्रामसभा से केले का पेड़ लाया जाएगा।

केले का पेड़ इस दिन लाया जाता है
मां नंदा देवी महोत्सव के उद्घाटन के दिन ही एक दल केले का पेड़ लेने जाता है। जबकि दूसरे दिन केले के पेड़ को नगर में लाया जाता है। पूरे शहर में केले के पेड़ की शोभा यात्रा निकाली जाती है। मान्यता है कि मां नंदा सुनंदा केले के रूप में आती हैं। जिसके बाद केले के पेड़ की प्राण प्रतिष्ठा कर इस दिन रात्रि से ही मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाती है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा सुनंदा की मूर्ति को दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण में स्थापित किया जाता है।

 

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