Ajab-Gajab Uttrakhand : बाघ और गुलदारों को इनसे है जान का खतरा! टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में NTCA का अलर्ट
- आप भी नहीं कर पाएंगे विश्वास
- जानिए क्या है ये मुसीबत
उत्तराखंड में जंगल के दो सबसे बड़े शिकारी जो खुद हर किसी के लिए एक बड़ा खतरा माने जाते हैं। अबकि बार वह खुद एक ऐसे जानवर की वजह से एक बड़े खतरे में पड़ गए हैं, जो शहरों में तकरीबन हर जगह आसानी से देखने को मिल जाते हैं। यहां तक की उसके इस खतरे को भांपते हुए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को तक अलर्ट करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक पत्र जारी करना पड़ा है।
यह खतरा ऐसा है जिसकी आपने हमने तो छोड़िए खुुद बाघ और गुलदारों ने भी कल्पना नहीं की होगी। दरअसल खूंखार शिकारी के रूप में टाइगर बड़े-बड़े जंगली जानवरों को आसानी से मार देता है, लेकिन इस बार उसके सामने सामान्य से जानवर भी बड़ी चुनौती बन गए हैं और वे जानवर हैं आवारा कुत्ते।
ऐसे में सामान्य रूप से जो विचार आता है उसमें ये होता हे कि शायद यह खतरा झुंड में हमला करने को लेकर हो, लेकिन ये खतरा झुंड में हमला करने से कहीं अलग है। इस खतरे को लेकर स्थिति इतनी गंभीर है कि एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) को इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पत्र तक जारी करने पड़ रहे हैं।
दरअसल स्थिति यह कि आवारा कुत्ते अब खूंखार टाइगर्स के लिए भी जान का खतरा पैदा कर रहे हैं। सुनने में यह बात भले ही अजीब लगे लेकिन यह एक हकीकत है। इसी खतरे को देखते हुए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने भी देश भर में टाइगर रिजर्व को अलर्ट करते हुए, विशेष अभियान चलाने तक के निर्देश जारी कर दिए हैं।
विशेष अभियान के तहत क्या:
इस बार टाइगर को आवारा कुत्तों से दूर रखने की कोशिश हो रही है। इसका कारण ये है कि अब विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि ये आवारा कुत्ते अब टाइगर की जान के लिए खतरा बन रहे हैं। तभी तो इसके लिए बाकायदा वन विभाग को विशेष अभियान चलाने तक के निर्देश भी जारी कर दिए गए, ताकि खासतौर पर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ये आवारा कुत्ते प्रवेश न करें, जिससे टाइगर के लिए मुसीबत ना बन पाएं।
एनटीसीए को ये है डर:
यहां ये भी जान लें कि बाघों के लिए आवारा कुत्तों का यह खतरा उनके झुंड में हमला करने को लेकर नहीं है बल्कि ये मामला शिकार होकर भी शिकारी को मात देने से जुड़ा है। दरअसल एनटीसीए को डर है कि आवारा कुत्तों में फैल रहे वायरस से टाइगर प्रभावित न हो जाए। इसके लिए टाइगर की राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को देखने वाली इस एजेंसी ने दिशा निर्देश जारी किए हैं।
बेहद ज्यादा खतरनाक:
निर्देश के अनुसार अब संरक्षित वन क्षेत्र के 2 किलोमीटर तक के इलाकों में आवारा कुत्तों की मौजूदगी होने पर विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत ऐसे आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट किया जाएगा, ताकि टाइगर को किसी तरह का कोई खतरा न हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि आवारा कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद खतरनाक होता है और टाइगर जैसे वन्य जीव में इसके फैलने से इनकी जान को खतरा हो सकता है। वाइल्डलाइफ से जुड़े जानकारों व वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कुत्तों में कई तरह की बीमारी होती है, जिससे टाइगर को खतरा हो सकता है। इसलिए इसके बचाव के लिए अब आवारा कुत्तों को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें वैक्सीन देकर वायरस के खतरे से वन्यजीवों को दूर रखने के प्रयास किया जाएगा।
पूर्व में सामने आ चुके बाघ की मौत के मामले:
ऐसा पहली बार नहीं है जब कुत्तों से इस तरह के खतरे का अनुभव किया जा रहा हो, इससे पहले भी साल की शुरुआत में ऐसे वायरस के फैलने की संभावना व्यक्त करते हुए अलर्ट किया गया था। साथ ही इससे पहले के सालों में भी आवारा कुत्तों से ऐसा ही खतरा महसूस किया गया था।
बड़ी बात यह है कि पूर्व में इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने से कई टाइगर की मौत होने की बात भी सामने आई है। ऐसे में अब केंद्रीय एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं और राज्यों को भी इसके लिए अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है।
सबसे ज्यादा खतरा:
कैनाइन डिस्टेंपर वायरस वन्यजीवों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। जब टाइगर किसी आवारा कुत्ते का शिकार करते हैं और वह कुत्ता इससे इन्फेक्टेड या ऐसे वायरस से प्रभावित होता है तो यह वायरस शिकार करने वाले टाइगर में भी प्रवेश कर जाता है।
वहीं टाइगर में प्रवेश करने के बाद यह इनके दिमाग पर अटैक करता है और शरीर के कई अंग इस वायरस से प्रभावित होने लगते हैं। जिसके कारण इसकी जान तक चली जाती है। बिल्ली प्रजाति के वन्यजीवों में इसका खतरा अत्यधिक माना जाता है और इसलिए तेंदुआ यानि गुल्दार और बाघ यानि टाइगर जैसे वन्य जीवों को इससे ज्यादा खतरा रहता है।