Fathers Love: जिगर के टुकड़े की तलाश में राजस्थान से आकर पहाड़ों पर भटक रहा पिता

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केदारनाथ से वापस लौट रहा देश का एक होनहार इंजीनियर साल 2023 में एक सैलाब में लापता हो गया था। जिसे आज भी उसके पिता पहाड़ों व उनके रास्तों में भटक भटक कर जगह जगह तलाश रहे हैं।

दरअसल साल 2023 में रुड़की आईआईटी के दीक्षांत समारोह के बाद वहां का एक छात्र रुपिन अपने दोस्त धनेंद्र के साथ सीधे केदारधाम की यात्रा पर निकला गया। इसके पश्चात केदारनाथ के दर्शन कर राजस्थान का रहने वाला ये इंजीनियर तपकुंड में आए पानी के सैलाब में ओझल हो गया। जिसके बाद से ही उसके पिता लगातार अपने इंजीनियर बेटे की तलाश में पहाड़ों पर भटक रहे हैं।

बेटे की तलाश में दीवारों पर वह खुद पोस्टर चिपका रहे हैं कि आखिर कोई तो उन्हें उनके पुत्र का पता बता दे। यहां तक की पिता स्थानीय पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। राजस्थान के अजमेर ब्यावर शहर निवासी अमरचंद सामरिया जो रुपिन के पिता हैं वे एक एलआईसी एजेंट हैं। यहां ये भी जान लें कि उनके होनहार पुत्र रुपिन सामरिया का 4 साल पहले आईआईटी रुड़की के लिए चयन हुआ।

अपना कोर्स पूरा करने के बाद रुपिन अपने गांव गए थे। गत 27 जुलाई को आईआईटी में दीक्षांत समारोह था तो रुपिन माता-पिता और दोस्त धनेंद्र सिंह के साथ रुड़की आ गए। यहां दीक्षांत समारोह में भाग लिया और डिग्री लेकर अपने बैग में रख ली। माता-पिता घर लौट गए और रुपिन अपने दोस्त धनेंद्र के साथ केदारनाथ यात्रा पर निकल गए।

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अगले दिन 28 जुलाई को ऋषिकेश से टैक्सी लेकर देवप्रयाग पहुंचे। यहां रात गुजारी और अगले दिन टैक्सी से गौरीकुंड पहुंच गए। गौरीकुंड से चले और रात में लिंचोली में सोए। अगले दिन यानी 30 जुलाई को केदारनाथ धाम के दर्शन किए। इसके बाद 31 जुलाई को धाम में आरती देखी और फिर रुड़की के लिए चल दिए।

जंगल चट्टी में भारी बरसात का सामना करते हुए जैसे-तैसे दोनों दोस्त चल रहे थे। इसी बीच रुपिन का फोन कहीं गिर गया। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और रास्ता नापना शुरू कर दिया। बारिश और झंझावात से लड़ते हुए दोनों दोस्त रात में गौरीकुंड तक पहुंच गए।

घर पर दोस्त के मोबाइल से कॉल कर कुशलक्षेम बताई। सुबह सोनप्रयाग पहुंचे तो पानी का सैलाब आ गया। इस सैलाब ने धनेंद्र को दूर तक बहा दिया। धनेंद्र दूर से ही देख रहा था कि रुपिन ने जैसे-तैसे ट्रैकिंग बैग की पट्टी पकड़कर खुद को संभाला है।

इसके बाद धनेंद्र बेहोश हो गया। आंख खुली तो रुपिन नहीं था। ऊपर जाकर पुलिस को सूचना दी, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। इसके बाद से रुपिन के पिता अमरचंद सामरिया लगातार अपने बेटे की तलाश में जुटे हैं। वह पहाड़ों पर जगह-जगह बेटे के फोटो वाले पोस्टर चिपका रहे हैं।

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