मेधा पाटकर को दिल्ली कोर्ट से दो बड़ी राहत, मानहानि मामले की सजा रद्द; LG सक्सेना को नोटिस
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नई दिल्ली । सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली कोर्ट से 2 बड़ी राहत मिली है। उपाराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में कोर्ट ने उनकी सजा रद्द कर दी है। इसी के साथ उन्हें जमानत भी देदी गई है। कोर्ट ने पाटकर को 25,000 रुपये के बेल बॉन्ड और इतनी ही राशि की जमानत राशि पर जमानत दे दी है। इसके अलावा कोर्ट ने वीके सक्सेना को मामले में नोटिस भी जारी किया है और उनसे 4 सितंबर को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसके बाद दिल्ली कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए 5 महीने की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। मेधा पाटकर ने इसी फैसले को दिल्ली की साकेत कोर्ट में चुनौती दी थी। ऐसे में अब कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा को रद्द करते हुए उन्हें जमानत दे दी है जो उनके लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
इससे पहले मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने यह कहते हुए पाटकर सजा सुनाई थी कि उनके जैसे व्यक्ति द्वारा झूठे आरोप लगाने से अपराध गंभीर हो गया है। हालांकि, कोर्ट ने 70 वर्षीय पाटकर को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का मौका देने के लिए सजा को एक महीने के लिए निलंबित कर दिया था।
क्या है मामला?
बता दें, मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच साल 2000 से ही एक कानूनी लड़ाई जारी है, जब पाटकर ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया था। वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। सक्सेना ने भी एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और प्रेस को मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे।
कब-कब क्या हुआ?
4 नवंबर साल 2000 में वीके सक्सेना ने आरोप लगाया था कि पाटकर ने एक टेलीविजन चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और एक मानहानिकारक प्रेस बयान जारी किया। इसके बाद जनवरी 2010 में मेधा पाटकर ने अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले को गुजरात से बाहर ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। 6 फरवरी, 2010 को सुप्रीम कोर्ट पाटकर और सक्सेना द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर किए गए मानहानि मामलों की सुनवाई गुजरात के अहमदाबाद से दिल्ली स्थानांतरित की।
5 महीने की सजा के साथ दस लाख रुपये जुर्माना
1 नवंबर, 2011 को दिल्ली की अदालत ने पाटकर के खिलाफ आपराधिक मानहानि के आरोप तय किए। 25 अप्रैल, 2024 को अदालत ने सक्सेना की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा। 24 मई, 2024 को दिल्ली की अदालत ने आपराधिक मानहानि मामले में पाटकर को दोषी ठहराया। इसके बाद 30 मई को अदालत ने पाटकर को सजा पर दलीलें सुनी। 7 जून को अदालत ने सजा पर फैसला सुरक्षित रखा और 1 जुलाई: अदालत ने पाटकर को पांच महीने की साधारण कैद की सजा सुनायी और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, अदालत ने पाटकर को अपील अदालत में जाने के लिए सजा एक महीने के लिये निलंबित की।