कर्नाटक सरकार ने हुबली दंगा केस बंद किया, दंगाइयों से मुकदमे वापस

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  • डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने की थी सिफारिश
  • भाजपा ने कहा-कांग्रेस आतंकियों के साथ

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हुबली में हुए दंगे का केस वापस ले लिया है। 16 अप्रैल 2022 को पुलिसकर्मियों पर भीड़ ने पत्थरों से हमला किया था, कई वाहनों में आग लगा दी थी। दंगाई पुलिस वालों को जान से मारने पर आमादा थे। इस मामले में 150 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे। अब सरकार ने मुकदमे वापस ले लिए हैं।

यह केस उन 43 मुकदमों में से एक है जिसे मंत्रिमंडल ने वापस लेने को मंजूरी दी है। भाजपा ने इस मुद्दे पर कर्नाटक सरकार को घेरते हुए कहा कि तुष्टीकरण की सियासत के लिए कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। पार्टी आतंकियों के साथ है।

भाजपा ने पूछा कि अगर कांग्रेस अपने शासन वाले राज्य के पुलिसकर्मियों की भी सुरक्षा नहीं कर सकती, तो वह देश के लोकतंत्र की रक्षा कैसे करेगी। मामला तब भड़का था जब सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर अपमानजनक सामग्री वायरल हुई।

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पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन, अल्सपंख्यक समुदाय का गुस्सा शांत नहीं हुआ। 16 अप्रैल 2022 को रात करीब 10 : 30 बजे सैकड़ों की संख्या में लोग ओल्ड हुबली टाउन थाने के पास जमा हो गए। एक पुलिस अधिकारी मे बताया कि भीड़ आरोपी को उनके हवाले करने की मांग कर रही थी, ताकि उसे मौत के घाट उतार सके। पुलिस ने मोर्चा संभाला और आरोपी को बचाने को कोशिश की।

उपद्रवियों ने यह भी चेतावनी दी कि जो भी आरोपी की रक्षा करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। भीड़ में शामिल लोगों ने आरोपी को रक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को मारने के नारे भी लगाए।

पुलिस से आरोपी को छीनकर हत्या करना चाहती थी भीड़
सूत्रों ने बताया कि पुलिस निरीक्षक मे भीड़ में शामिल लोगों को ‘अड़ियल रुख’ छोड़ने और वहां से जाने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन बे थाने में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर डुंडों और पत्थरों से हमला कर दिया।

हमलावरों ने ड्यूटी पर मौजूद कई पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। इतना ही नहीं गुस्साई भीड़ ने वहां कई सरकारी और निजी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया। अधिकारी ने बताया, इसके बाद ओल्ड हुबली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दंगा, हत्या का प्रयास, सरकारी अधिकारियों पर हमला, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने को धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

अंजुमन-ए-इस्लाम की अर्जी पर फैसला..
कर्नाटक में अंजुमन-ए-इत्लाम ने गृहमंत्री जी परमेश्वर को एक अर्जी दी थीं, जिसके बाद मुकदमा वापस लेने का फैसला किया गया। चार अक्तूबर, 2023 में कनटिक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमर ने एडीजी को पत्र लिखकर मामले को वापस लेने और आरोपों पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की थी।

कौन क्या बोला…

मामला एनआईए कोर्ट में वापस नहीं ले सकते : भाजपा
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों को खुश करने की राजनीति कर रही है। यह मामला यूएपीए के तहत चल रहा हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला विशेष एनआईए अदालत में चल रहा है। जहां तक मुझे पता है, सामान्य तौर पर राज्य इसे वापस नहीं ले सकता, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे वापस लेने का फैसला किया। जो सरासर नियमों का उल्लंघन है।

राज्य सरकार के पास मामला वापस लेने का अधिकार : सिद्धरमैया
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि सरकार के पास कुछ मामलों को वापस लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री क॑ नेतृत्व में एक कैबिनेट उपसमिति है, अपने विवेक के अनुसार उन्होंने निर्णय लिया है और कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है। मैं इस मामले को देखूंगा। इस प्रकरण में सरकार के निर्णय के खिलाफ भाजपा को ओर से विशेध प्रदर्शन की योजना के बारे में सिद्धरमैया ने मैसूरू में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा हमेशा झूठे मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करती है, वास्तविक मुद्दों पर नहीं।

पुलिस ओर कानून विभाग की रिपोर्ट का किया उल्लंघन
भाजपा सांसद बांसुरी स्वगज ने कहा कि एक पुलिस थाने पर हमला हुआ। इस गंभोर दंगे में 158 से अधिक लोग शामिल थे। भाजपा सांसद ने कहा, मैं यह देखकर वाकई हैरान हूं कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कर्नाटक पुलिस विभाग को पत्र लिखकर इन मामलों को वापस लेने के लिए कहा है। यह राज्य पुलिस और कानून बिभाग दोनों की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का उल्लंघन है। स्वराज ने आरोप लगाया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने स्वार्थ की राजनेतिक हितों की पूर्ति के लिए मामले को वापस लेने का फैसला किया है।

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