US Tour: PM मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कहा – भारत तटस्थ नहीं, हमारा एक पक्ष है शांति

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वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) की व्हाइट हाउस (White House) में मुलाकात हुई। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह उनकी पहली ऑफिशियल मीटिंग (First official meeting) थी। दोनों नेताओं के बीच व्यापार, प्रवासी और यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भी चर्चा हुई। रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने में भारत की भूमिका के बारे में पीएम मोदी से सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा रूस और यूक्रेन के साथ निकट संपर्क में रहा हूं। मैंने दोनों देशों के नेताओं से मुलाकात की है। कई लोगों को गलतफहमी है कि भारत तटस्थ है, लेकिन मैं फिर से कहना चाहता हूं कि भारत तटस्थ नहीं है। हमारा एक पक्ष है और हमार पक्ष है शांति।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में मीडिया के सामने कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। युद्ध के मैदान में समस्याओं के समाधान नहीं निकलते हैं वो टैबल पर चर्चा करके ही निकलता है।’ एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है कि चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे होंगे। कोविड-19 महामारी से पहले तक राष्ट्रपति शी के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे थे। मुझे लगता है कि चीन दुनिया में एक बहुत महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। मुझे लगता है कि वे यूक्रेन और रूस के साथ इस युद्ध को खत्म करने में हमारी मदद कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका साथ मिलकर काम कर सकते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है।’

शांति वार्ता में यूक्रेन को शामिल करने की मांग
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जल्द बातचीत किए जाने के संकेत हैं। इस बीच, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के कई सदस्य देशों ने कहा कि किसी भी शांति वार्ता से यूक्रेन और यूरोप को दूर नहीं रखा जाना चाहिए। नाटो में शामिल देश ब्रिटेन के रक्षा मंत्री जॉन हिली ने कहा, ‘यह मत भूलिये कि रूस, यूक्रेन के अलावा और देशों के लिए भी खतरा बना हुआ है।’ अमेरिका ने यह कह कर नाटो को परेशानी में डाल दिया कि यूक्रेन को कभी भी इस गठबंधन में शामिल नहीं होना चाहिए। यूरोपीय सहयोगियों को आने वाले समय में यूक्रेन की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’ हिली ने कहा कि कीव के बिना यूक्रेन के बारे में कोई बातचीत नहीं हो सकती। किसी भी वार्ता में यूक्रेन को शामिल किया जाना चाहिए।

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