तिब्बतियों के चीनी दमन का अमेरिकी संसद को रिपोर्ट में खुलासा

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  • चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती भाषा-संस्कृति को नष्ट करने की कर रही पुरजोर कोशिश…

वाशिंगटन। चीन पर अमेरिकी कांग्रेस-कार्यकारी आयोग (सीईसीसी) ने सालाना रिपोर्ट जारी की है। इसमें चीन के शासन में तिब्बत में चल रहे मानवाधिकारों के हनन का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट तिब्बतियों के धार्मिक, सांस्कृतिक व जातीय अधिकारों के लगातार दमन का खुलासा करती है। सीईसीसी ने तिब्बत में जारी दमन पर वैश्विक ध्यान और तत्काल कार्रवाई की अपील की है।

रिपोर्ट में चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) व अन्य तिव्बती आबादी वाले इलाकों में तिब्बतो बौद्ध धर्म, संस्कृति व भाषा पर प्रतिबंधों के साथ-साथ तिब्बतियों को राजनीतिक बंदियों के रूप में निशाना बनाए जाने का ब्योरा है। चीन ने तिब्बती बौद्ध धर्म पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। धार्मिक समारोहों और मठों तक पहुंच पर पाबंदी है। दलाई लामा के साथ बातचीत 2010 से रुकी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है सिनिसाइजेशन नीति के तहत चीन तिब्बती संस्कृति को राज्य-नियंत्रित प्रथाओं से बदलने की कोशिश कर रहा है।

बांध से गांवों ऑर मठों को खतरा

रिपोर्ट में फरवरी 2024 में तिब्बत के डेरगे काउंटी ड्रिचू (जिंशा) नदी की जलविद्युत परियोजना के विशेध में प्रदर्शन का जिक्र है। यह परियोजना तिब्बती गांवों और मठों को खतरे में डाल रही है। यह चीन का जबरन विस्थापन और सांस्कृतिक विनाश का हिस्सा है। डर है कि बांध की वजह से गांव और मठ बाढ़ में डूब जाएंगे। इनमें 13वीं सदी के भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध मठ भी शामिल है। |

CECC रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष

राजनीतिक मंदी : रिपोर्ट चीनी सरकार के राजनीतिक दमन में तिब्बतियों को निशाना बनाए जाने के बारे में भी बताती है। चीन में राजनीतिक कैदियों में तिब्बतियों की संख्या अधिक है। सीईसीसी के अनुसार 2,764 राजनीतिक कैदियों में से 1,686 को उनके धार्मिक या सांस्कृतिक जुड़ावों के कारण हिरासत में लिया गया है।

कॉर्पोरेट भूषिका : सीईंसीसी रिपोर्ट में चीन के मानवाधिकारों के हनन में अमेरिकी और विदेशी निगमों की भूमिका के बारे में भी बताया गया है।खासकर अमेरिकी कंपनी थर्मो फिशर साइंटिफिक की डीएनए तकनीक चीन के निगरानी कार्यक्रम में मदद कर रही है। इससे अंगों की तस्करी को लेकर चिंताएं बढ़ रहो हैं। इसका इस्तेमाल चीनी पुलिस तिब्बतियों व उड्गरों के बड़ा डीएनए डाटाबेस इकट्ठा करने के लिए कर रही है।

धार्मिक दमन : चीन तिब्बती बौद्ध धर्म पर कड़े प्रतिबंध लगा गए हैं। धार्मिक समारोहों और मठों तक पहुंच पर पाबंदी है। दलाई लामा के साथ बातचीत 2010 से रुकी हुई है।

भाषा पर कहर : चीनी अधिकारी तिब्बती भाषा की जगह मंदारिन को बढ़ावा दे रहे हैं और तिब्बत के लिए शीजांग जैसे लफ्जों का इस्तेमाल कर इसको वैश्विक पहचान बदलने की कोशिश कर रहे हैं। सीईसीसी रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि यह कदम तिब्बत पर अपनी संप्रभुता को मजबूत करने और तिब्बती सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को मिटाने की सीसीपी की रणनीति का हिस्सा है।

 

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