लंदन हाईकोर्ट से माल्या को बड़ा झटका, अपील खारिज
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नई दिल्ली। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) की इंग्लैंड की एक अदालत की ओर से जारी दिवालिया आदेश (Bankruptcy Order) के खिलाफ दायर अपील पर इंग्लैंड की हाईकोर्ट (England HC) से झटका लगा है। इंग्लैंड एंड वेल्स हाईकोर्ट के चेंचरी डिविजन के अपीलीय जज जस्टिस एंथनी मान ने माल्या की ओर से सुनवाई स्थगित करने का आवेदन ठुकरा दिया। माल्या खुद सुनवाई के लिए मौजूद नहीं थे, उनके वकीलों ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था।
जस्टिस एंथनी ने भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक फ्रॉड के मामलों में वांछित 69 वर्षीय शराब कारोबारी से जुड़ी कई अपीलों को सुनने का फैसला किया। इनमें से वह अपील भी शामिल हैं जिनमें भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के समूह ने विजय माल्या की बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी किंगफिशर पर 1.05 अरब पाउंड के भुगतान की मांग की गई है।
जस्टिस एंथनी ने कहा, मुझे भारतीय सुनवाई के परिणाम तक कार्यवाही लंबित रखने का कोई कारण नहीं दिखता। अपील का महत्वपूर्ण समय पहले भी बर्बाद हो चुका है। उन्होंने मामले में माल्या की ओर नए सबूत पेश करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। इन सबूतों में संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का वह बयान भी शामिल है कि माल्या की संपत्तियों से सरकारी बैंकों को 14131 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।
दिवालियापन कार्यवाही के खिलाफ की गई अपीलों पर हुई चर्चा
जस्टिस मान मुख्य दिवाला और कंपनी न्यायालय (ICC) के न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स के एक फैसले से संबंधित अपीलों की सुनवाई कर रहे हैं, जो लगभग छह साल पहले माल्या के खिलाफ बैंकों द्वारा शुरू की गई दिवालियापन कार्यवाही के संदर्भ में दिया गया था। सुनवाई में मुख्यतः दिवालियापन कार्यवाही के खिलाफ की गई अपीलों पर चर्चा की गई। माल्या का तर्क था कि भारतीय कानून के एक सिद्धांत के कारण बैंकों को उनकी संपत्तियों पर सुरक्षा रखने से रोका गया।
ब्रिटेन में जमानत पर हैं विजय माल्या
इस सप्ताह की सुनवाई के दौरान दो और अपीलों पर भी चर्चा होगी। इस बीच, माल्या ब्रिटेन में जमानत पर हैं, जबकि उनका एक ‘गोपनीय’ कानूनी मामला चल रहा है, जो शरण आवेदन से संबंधित है। माल्या यह तर्क करते रहे हैं कि भारतीय बैंक उनके खिलाफ एक ही ऋण का पीछा कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बैंकों का मामला मई 2018 से चल रहा है, जिसके बाद कई सुनवाई हुईं और अंततः 26 जुलाई, 2021 को माल्या के खिलाफ दिवालियापन आदेश जारी किया गया।