#परीक्षा सूत्र: आज बात परीक्षा के डर की …
@डॉ.आशीष द्विवेदी की कलम से…
नमस्कार,
आज बात परीक्षा के डर की …
इससे निखर आता है जीवन
जीवन के पथ- पथ पर आती है – परीक्षा। आपके हम कितना भी कहें कि परीक्षा से हमें कोई भय नहीं है किंतु यह अर्धसत्य है। परीक्षाओं से भय लगभग सर्वव्यापी ही परीक्षा है। मैंने बड़े से बड़े हिम्मती लोगों को परीक्षा के नाम पर कंपित होते देखा है। यह जीवन अत्यंत कठोर और निर्मम होता है, इसमें सदैव न्याय हो यह आवश्यक नहीं है। हम सभी इस बात पर उपदेश अवश्य दे सकते हैं कि परीक्षा के तनाव को कैसे कम करें लेकिन सच्चाई यह है कि यह कहे तक ही सीमित है। परीक्षाओं का तनाव होता ही है।
आपको इससे बचाने के लिए कोई नहीं आने वाला है। अपनी दृढ़ता से इससे तो स्वयं ही पार पाना होगा। अपने जीवन के निर्माता आप स्वयं होंगे। एक बात याद रखिए परीक्षा में असफल होने पर कभी जीवन के सपने चकनाचूर नहीं होते। एक – एक परीक्षा हमें परिपक्व बनाती है। हमारे आत्मविश्वास को प्रबल करती है। हमारे इस संसार में आने के साथ ही परीक्षाओं का दौर आरम्भ हो जाता है। बच्चे के जन्म लेने में जो भीषण संघर्ष होता है वह भी तो एक परीक्षा ही है। अपना पहला पग बढ़ाना भी परीक्षा है जिसमें लड़खड़ाकर खुद ही संभलना होता है।
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फिर नाना किस्म की परीक्षाओं का दौर सारी उम्र चलता ही रहता है। अपने को साबित करने की परीक्षा, यदि आप इस संसार में आए हैं तो क्या आपका आना सार्थक और सौद्देश्यपरक है? यह बड़ा प्रश्न है। यह परीक्षा देते – देते आदमी का जीवन ही निकल जाता है। इस संसार में अवतार के रूप में राम, कृष्ण, गौतम, महावीर आए तो उन्हें भी तो परीक्षाओं के जटिल दौर से गुजरना पड़ा। परीक्षाएं चलती ही रहीं।
सूत्र यह है कि जीवन में परीक्षाओं का आना अत्यंत स्वाभाविक है। जिसने जितनी बड़ी और कठिन परीक्षाएं निकालीं उसकी उतनी ही जय- जयकार हुई है। इसलिए पूर्ण आत्मविश्वास से परीक्षाओं का सामना कीजिए।
शुभ मंगल
# परीक्षा सूत्र