Uttarakhand: क्षेत्रवाद के बयान पर पार्टी से लेकर विपक्ष तक कैसे घिरते गए वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल

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देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Assembly) में पहाड़-मैदान को लेकर अपने विवादित बयान (Controversial statement) के कारण काफी समय से विरोध का सामना कर रहे सूबे के संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Finance Minister Premchand Agarwal) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने रविवार को यहां मुख्यमंत्री आवास में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस दौरान वह रो पड़े। उन्होंने कहा कि आज उसे टारगेट किया जा रहा है जिसने उत्तराखंड के लिए योगदान दिया। राज्य आंदोलन में लाठियां खाईं।

उत्तराखंड के संसदीय कार्य और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अपने पद से इस्तीफा देते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा- मेरे जैसे एक आंदोलनकारी की बात को जिस प्रकार से तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। इसको लेकर पूरे प्रदेश में जिस प्रकार माहौल बनाया गया। इसको लेकर मुझे बड़ा दुख है। मैं बेहद आहत हूं। इसके साथ ही प्रेमचंद अग्रवाल रो पड़े। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश को आगे बढ़ाने में मुझसे जो योगदान बन पड़ेगा देने को तैयार हूं।

हाल में विधानसभा में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट की उन्हें लेकर की गई टिप्पणी पर संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल आक्रोशित हो गए थे। उन्होंने कहा था कि क्या हमने इसी दिन के लिए आंदोलन कर उत्तराखंड मांगा था कि पहाड़ी और देसी को लेकर टिप्पणियां की जाएं। क्या उत्तराखंड केवल पहाड़ के लोगों के लिए ही बना है क्या? इस दौरान उनके मुंह से एक अपशब्द भी निकल गया था।

मंत्री के इसी बयान को लेकर सूबे का सियासी तापमान बढ़ गया था। कांग्रेस और कुछ अन्य संगठनों ने उनको कैबिनेट से बाहर निकाले जाने की मांग करते हुए पूरे प्रदेश में जगह जगह प्रदर्शन किए थे। हालांकि बाद में मंत्री ने अपने बयान के लिए खेद भी जताया था। बात यहां तक बढ़ गई थी कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि उत्तराखंड की एकता को भंग करने के प्रयास करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे ऐसे लोग मंत्री, विधायक या सांसद क्यों ना हों।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, होली से पहले ही मुख्यमंत्री धामी दिल्ली गए थे। उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेताओं से इस मसले पर बातचीत की थी। तभी से माना जा रहा था कि जल्द ही प्रेमचंद अग्रवाल से इस्तीफा लिया जा सकता है। प्रेमचंद अग्रवाल के बयान को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे और उनके पुतले फूंके जा रहे थे। कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने प्रेमचंद अग्रवाल को कैबिनेट से हटाने की मांग की थी।

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान को लेकर लगातार हो रहे हंगामे के कारण सरकार भी बैकफुट पर नजर आ रही थी। कांग्रेस सोशल मीडिया पर लगातार इस मुद्दे को उठाते हुए हंगामा कर रही थी। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने भी प्रेमचंद अग्रवाल को तलब किया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को संयम बरतने और उचित शब्दावली प्रयोग करने की कड़ी हिदायत दी थी।

उत्तराखंड उनकी बातें नहीं भूलेगाः कांग्रेस
उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रविवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों पर की गई उनकी कथित विवादित टिप्पणी के बाद कई हफ्ते से विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। आधिकारिक बयान के अनुसार, वित्त और संसदीय मामलों सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके प्रेमचंद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनके आधिकारिक आवास पर जाकर अपना इस्तीफा सौंपा।

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद के इस्तीफे पर कांग्रेस का बयान सामने आया है। कांग्रेस ने कहा कि अहंकार का यही नतीजा निकलता है। सूबे के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि यह अहंकार का नतीजा है, जब जुबान पर काबू नहीं है तो फिर आप किस तरह के नेता हैं। भाजपा में जो अहंकार है, उसका असर प्रेमचंद अग्रवाल पर भी था, वह अकेले नहीं हैं। उत्तराखंड उनकी बातें नहीं भूलेगा।

हरीश रावत ने कहा कि अकेले प्रेमचंद ही नहीं हैं। भाजपा का जो अहंकार है वह प्रेमचंद के शब्दों में निकला। उन्होंने बहुत अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इस घाव को उत्तराखंड नहीं भूलेगा। जिस तरीके का प्रहार प्रेमचंद के शब्दों ने किया उससे मैं बहुत दुखी हूं। यदि उन्होंने वाकई इस्तीफा दे दिया है तो शायद वह बड़ी बदनामी से बच गए हैं, लेकिन जनता भाजपा को माफ नहीं करेगी।

गौरतलब है कि बीते दिनों विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पहाड़ी लोगों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी को लेकर प्रेमचंद अग्रवाल का लगातार विरोध हो रहा था। विपक्षी दल उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंपते हुए प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रेस कांफ्रेंस में फफकते हुए राज्य आंदोलन में अपने योगदान को बताया। उन्होंने कहा कि जो सदन में बयान दिया था, उस पर उसी दिन सफाई भी दे दी थी। मेरे भाव बिल्कुल गलत नहीं थे।

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