होली पर 60 हजार करोड़ के टर्नओवर की उम्मीद… खिले व्यापारियों के चेहरे

नई दिल्ली। होली (Holi) सिर्फ रंगों और भाईचारे का त्योहार (Festival of colours and brotherhood) ही नहीं है.दुर्गा पूजा और दीवाली की तरह इसका भी एक कारोबारी पहलू है.इस साल होली में 60 हजार करोड़ का टर्नओवर (Turnover of 60 thousand crores) होने की उम्मीद है.बीती दुर्गापूजा में केवल पश्चिम बंगाल में करीब 10 दिनों तक चलने वाले त्योहार में टर्नओवर 40 हजार करोड़ (Turnover 40 thousand crores) के पार पहुंच गया था.इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी समेत कई राज्यों में मनाया जाने वाले रंगों के त्योहार के दौरान तेज बिक्री से कारोबारियों की बांछें भी खिलेंगी.इस साल होली में 60 हजार करोड़ का टर्नओवर होने की उम्मीद है.बीते साल यह रकम करीब 50 हजार करोड़ थी.यानी इस साल इसमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी की आशा जताई गई है.यह अनुमान कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का है.इससे साफ है कि इस साल कारोबारियों के चेहरों पर होली के रंग कुछ ज्यादा ही गहरे नजर आ रहे हैं.किन चीजों की बिक्री में है तेजी की उम्मीद कैट ने कहा है कि बीते साल होली के मौके पर इससे संबंधित चीजों की बिक्री का टर्नओवर करीब 50 हजार करोड़ रहा था.
लेकिन इस साल इसके 20 फीसदी बढ़ कर 60 हजार करोड़ रहने की उम्मीद है.संगठन ने उम्मीद जताई है कि इस साल अकेले दिल्ली में आठ हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार होगा.इसी तरह पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और इसके उपनगरों में यह आंकड़ा पांच हजार करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है.संगठन के महासचिव और बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल का कहना था कि इस साल होली के मौके पर देश में नया उत्साह नजर आ रहा है.इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.इस बार खासकर छोटे और मझौले कारोबारियों को बढ़िया मुनाफा होने की उम्मीद है.कैट के मुताबिक, होली के मौके पर कारोबार में आने वाली इस तेजी का असर जल्दी ही शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा.इसकी वजह यह है कि तेजी से बिक्री होने वाली चीजों (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स या एफएमसीजी) की मांग काफी बढ़ती है.इनमें ड्राई फ्रूट, मिठाई, कपड़े, फूल, विभिन्न तरह के गिफ्ट आइटम और प्रसाधन सामग्री शामिल है.यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि हाल के दिनो में शेयर बाजार में तेजी से गिरावट आई है।
चीनी सामान पर भारी पड़ रहा है “मेड इन इंडिया”एक खास बात यह भी है कि इस साल भारत में बने उत्पादों ने बाजारों में चीनी उत्पादों को पीछे छोड़ दिया है.अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस बढ़ते कारोबार का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है.कोलकाता में व्यापार संगठन इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के एक सदस्य समीर बागची डीडब्ल्यू को बताते हैं, “बीते कुछ वर्षों से होली के दौरान चीनी उत्पादों की जगह देश में बनी सामग्रियों की मांग बढ़ी है.इनमें हर्बल अबीर-गुलाल से लेकर रंग और तरह-तरह की डिजाइन वाली पिचकारियां जैसी चीजें शामिल हैं”वो बताते हैं कि इस साल “हैप्पी होली” लिखे टी-शर्ट, कुर्ता-पजामा औऱ सलवार सूट की मांग बीते साल के मुकाबले काफी बढ़ी है.शाहजहांपुर की खास होली जहां “लाट साहब” पर जूते बरसाए जाते हैंआईसीसी के समीर बागची का कहना था, “होली में रंगों और कपड़ों के अलावा मिठाई औऱ सूखे फलों का कारोबार करने वालों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है” देश के कई इलाकों में होली के मौके पर गुजिया (मैदे और खोवे से बनने वाली एक किस्म की मिठाई) और सूखे मेवों की भारी मांग रहती है.खासकर उत्तर भारतीय घरों में तो गुजिया के बिना होली अधूरी ही मानी जाती है.कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में रंग और अबीर-गुलाल बेचने वाले गजेंद्र प्रसाद डीडब्ल्यू को बताते हैं, “दो साल पहले तक बाजारों में चीनी पिचकारियों की भरमार थी.लेकिन बीते साल से भारतीय पिचकारियों की मांग बढ़ी है.इस साल तो इसकी काफी मांग रही.इसकी वजह यह है कि चीनी पिचकारियों के मुकाबले कुछ महंगी होने के बावजूद इनकी क्वालिटी बेहतर है.
इसी तरह हर्बल रंग और गुलाल की भी काफी बिक्री हुई है” उनका कहना था कि बीते साल के मुकाबले बिक्री डेढ़ गुनी बढ़ी है.कोलकाता के न्यू मार्केट में फुटपाथ पर रंग बेचने वाली लक्ष्मी साव बताती हैं, “इस साल बीते साल से बहुत ज्यादा बिक्री हुई थी.जितना अबीर-गुलाल ले आई थी, वह सब बिक चुका है”रंग, गिफ्ट के अलावा होली में और कहां हो रहा है खर्च इस साल होली ने होटल और रेस्तरां मालिकों के चेहरों पर भी खुशी के रंग भर दिए हैं.मिसाल के तौर पर कोलकाता के ज्यादातर होटल और रेस्तरां होली की शाम के लिए बुक हैं.कोलकाता के एक रेस्तरां मालिक दिब्येंदु सरकार डीडब्ल्यू को बताते हैं, “इस साल होली से पहले और बाद में मिला कर चार दिनों तक तमाम टेबल बुक है.होली के साथ मिले लंबे वीकेंड ने कारोबार को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है”इसी तरह महानगर के कम से कम दो हजार जगहों पर होली मिलन महोत्सव के आयोजन की तैयारियां हैं.देश के दूसरे शहरों की स्थिति भी इससे अलग नहीं है.कोलकाता के एक कालेज में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफेसर रमेन अधिकारी डीडब्ल्यू को बताते हैं, “किसी भी देश के अर्थव्यव्यवस्था पर वहां के राष्ट्रीय उत्सव का अहम योगदान होता है.मिसाल के तौर पर ब्राजील के रियो में होने वाले कार्निवाल और जापान के चेरी ब्लॉसम उत्सव के साथ ही बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा का नाम लिया जा सकता है.अब होली का त्योहार भी इसी कतार में आ गया है”वो कहते हैं कि इसका असर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर जल्दी ही नजर आएगा।