दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना बड़ी उपलब्धि, जानें भारत को कैसे हासिल होगा ये लक्ष्य?

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नई दिल्ली। भारत (India) का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (World Fourth Largest Economy) बनना एक बड़ी उपलब्धि है। नीति आयोग (Policy Commission) के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि अनुकूल भू-राजनीतिक और आर्थिक माहौल पूरी तरह से भारत के पक्ष में है। विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि अगर अमेरिका, यूके और ईयू (US, UK and EU) से व्यापार समझौतों (Trade agreements) को जल्द अमलीजामा पहना दिया जाता है तो भारत में व्यापार सुगमता बढ़ेगी। इससे देश के आर्थिक विकास में और तेजी आएगी और तीसरी अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तीन साल के भीतर पाना आसान हो सकता है।

जानकार मानते हैं कि अगर दुनिया में लंबे समय कोई युद्ध और व्यापार से जुड़ा कोई टकराव नहीं होती है तो भारत 2027 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा।। देश की आर्थिक विकास दर भले ही बीते कुछ सालों की तुलना में धीमी हो, लेकिन दुनिया के तमाम देशों की तुलना में सबसे अधिक है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ रहा है। राजकोषीय घाटे में गिरावट, व्यापार से जुड़ी सुगमता, बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र में वृद्धि, खर्च के प्रति ग्राहकों का सुझान बढ़ रहा है। इसी तरह से भारत दुनिया के कई बड़े देशों के साथ व्यापार समझौतों पर चर्चा कर रहा है, जो आर्थिक विकास के लिहाज से सकारात्मक हैं।

प्रस्तावित व्यापार समझौते
1. भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहा है। इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।
2. भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनी गई है। इस समझौते का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। हर साल द्विपक्षीय व्यापार में 15 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।
3. भारत- यूरोपीय संघ (ईयू) मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा चल रहा है। इस समझौते के होने पर द्विपक्षीय व्यापार के सालाना 15-20 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

अर्थव्यवस्था के लिहाज से सकारात्मक संकेत
1. विदेशी मुद्रा भंडार : आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार छह महीने के सर्वोच्च स्तर 686.11 बिलियम अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंचा, जो 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त था।
2. वित्तीय स्थिरता : भारत का वित्तीय क्षेत्र स्थिर है। बीते कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तो बैंक ऋण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो दर्शाता है कि देश में लोगों के खर्च करने की क्षमता लगातार बढ़ रही है। बीते 10 वर्षों में बैंक ऋण की औसत वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रही है। सरकार व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए सस्ती दर पर ऋण की आसान उपलब्धता पर भी जोर दे रही है।
3. राजकोषीय घाटे में कमी: निरंतर राजकोषीय घाटे में गिरावट आ रही है। वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 9.2 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4.8 प्रतिशत हुआ। चालू वित्तीय वर्ष में घटाकर 4.2 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखा जाए तो राजकोषीय घाटे में कमी से अर्थव्यवस्था को कई लाभ हो सकते हैं।

इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे ब्याज दरें कम होती हैं। ऐसे में निवेश को प्रोत्साहन करने में मदद मिलती है।राजकोषीय घाटे में कमी से सरकार पर ऋण का बोझ कम होता है, जिससे अर्थव्यवस्था अधिक स्थिर हो जाती है।

विशेषज्ञों की राय
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा, “मौजूदा समय पर वैश्विक स्तर पर कोई सारी चुनौतियां है। अमेरिका हर रोज नया टैरिफ लगाने की बात कर रहा है। उधर, दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध चल रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था के लिहाज से भविष्य में सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है। इसलिए भारत के लिए आने वाले समय चुनौतीपूर्ण है। उसे निवेश को आकर्षित करने के लिए ज्यादा कदम उठाने होंगे। अगर निवेश अनुकूल माहौल रहेगा तो आर्थिक विकास को गति मिलेगी।”

इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने बताया, “वर्तमान में भारत की आर्थिक विकास दर सही दिशा में आगे बढ़ रही है। इंजीनियरिंग उत्पादों समेत कई क्षेत्रों में निर्यात बढ़ रहा है। आने वाले समय में अमेरिका, यूके और यूरोपीय संघ के साथ भी व्यापार समझौता होने की उम्मीद है, जिससे बाजार में बढ़ोतरी होने पर अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगी। अगर कोई बड़ा युद्ध नहीं होता है तो भारत वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। ”

भविष्य में जीडीपी अनुमान
देश                       वर्ष 2025 जीडीपी                  वर्ष 2026 जीडीपी
अमेरिका                  2.7                                             2.1
चीन                          4.6                                             4.5
जापान                      1.1                                              0.8
भारत                        6.5                                             6.5
ब्राजिल                      2.2                                              2.2
वैश्विक                       3.3                                              3.3
नोट – जीडीपी अनुमान प्रतिशत में है।

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