इन अफसरों की अब खैर नहीं, होंगे दंडित
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि उन सरकारी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करें, जो सरकार की ओर से अपील/मामले दायर करने में देरी कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को दंडित किया जाए। कोर्ट ने इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। यह दूसरी अपील दायर करने में पांच साल से ज्यादा की देरी को माफ करने से हाईकोर्ट के इनकार के खिलाफ दायर की गई थी।
अपील दायर करने में देरी करने वाले अफसरों की खैर नहीं
मध्य प्रदेश सरकार बनाम रामकुमार चौधरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। यह मामला सरकारी जमीन से जुड़े विवाद से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार की ओर से अपील दायर करने में 5 साल की देरी हुई है, जो अनुचित है।
देरी का विशेषाधिकार
हाई कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा था कि देरी के लिए कोई ठोस और वाजिब कारण पेश नहीं किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई और स्पष्ट किया कि सरकारी मामलों में भी अपील में अनुचित देरी स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे न्याय प्रणाली पर बोझ बढ़ता है और विवादित पक्षों को अनावश्यक रूप से लंबित मुकदमेबाजी झेलनी पड़ती है। इस निर्णय से न्यायालय ने स्पष्ट संकेत दिया कि सरकारें भी समयबद्धता का पालन करें और “देरी का विशेषाधिकार” मांगने की प्रवृत्ति से बचें।