सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की कोविड-19 टीकों के दुष्प्रभावों की जांच की मांग वाली याचिका, लगाई फटकार
- कहा- सोचिए, टीका न लगवाते तो क्या होता? सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए दी अर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 टीकों के दुष्प्रभावों की जांच कराने की मांग वाली याचिका ठुकराते हुए कहा कि यह सिर्फ सनसनी फैलाने का एक प्रयास है। शीर्ष कोर्ट ने वैक्सीन को वैश्विक महामारी पर काबू पाने में मददगार माना और याचिकाकर्ताओं की कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि सोचिए अगर लोगों ने टीका नहीं लगवाया होता तो क्या होता।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीबाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रिया मिश्रा और अन्य की तरफ से दायर जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया। सीजेआई ने कहा, याचिकाकर्ता अगर वास्तव में व्यधित हैं तो उन्हें अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने के बजाय सामूहिक मुकदमा दायर करना चाहिए था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वैक्सीन की वजह से रक्त के थक्क्रे जमने जैसे साइड इफेक्ट होते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि इसी तरह की चिंताओं पर ब्रिटेन जैसे देशों में क्लास एक्शन सूट दायर किए गए हैं।
याचिका में मांग की गई थी कि शीर्ष कोर्ट विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट और जानलेवा जोखिमों की जांच कराए।
याचिकाकर्ता के वकील से पूछा- क्या टीके से साइड इफेक्ट हुआ :
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से यह भी पूछा कि क्या उन्होंने वैक्सीन ली थी। इस पर वकील ने बताया कि उन्होंने वैक्सोन ली थी। फिर कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या उन्हें कोई साइड इफेक्ट हुआ। वकील ने इससे इन्कार किया तब कोर्ट ने कहा- यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए है। हम इसे आगे नहीं बढ़ना चाहते।
कोविड वैक्सीन की वजह से हम उस महामारी से निपटने में सक्षम थे, जिसने मानवता को दहलाकर रख दिया। अब इन मुद्दों को न उठाएं।
– सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़