झारखंड में राजनीति उथल-पुथल तेज, क्या संथाल-कोल्हान को अपने पाले में ला पाएंगी भाजपा?
रांची । झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य के पांच प्रमंडलों में दो संथाल और कोल्हान सत्ता का रास्ता तय करेंगे। कोल्हान की 14 और संथाल की 18 विधानसभा सीटों पर बढ़त किसी भी राजनीतिक दल के लिए बेहद अहम रही है। यही वजह है कि इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच ऑपरेशन कोल्हान और संथाल को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान देखा जा रहा है।
संताल में इस बार क्या मुद्दा
इस बार का विधानसभा चुनाव कई मुद्दों पर लड़ा जा रहा है। संथाल की राजनीति में भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ, डेमोग्राफी में बदलाव, घटती आदिवासी आबादी को मुद्दा बनाकर उथल-पुथल मचा दी है। इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों जमशेदपुर, हजारीबाग की राजनीतिक सभा से झामुमो, राजद और कांग्रेस की घेराबंदी कर चुके हैं। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा इस मुद्दे पर खासे हमलावर हैं और उन्होंने गुरुवार को साहिबगंज पहुंचने के बाद यहां तक कह दिया कि चुनाव में भाजपा की जीत होगी, इसके बाद झारखंड में एनआरसी लागू करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह संथाल से इन मुद्दों पर हुंकार भर चुके हैं।
झामुमो और कांग्रेस भी आक्रामक
दूसरी ओर सत्तासीन झामुमो और कांग्रेस भी कोल्हान और संथाल के सियासी जंग में आक्रामक हैं। घुसपैठ के मसले पर गृह मंत्रालय को कटघरे में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गोड्डा, रामगढ़ सहित विभिन्न जनसभाओं में भाजपा पर संथाल को तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया है कि भाजपा नेताओं को अपने गांव में घुसने न दें। इंडिया गठबंधन भाजपा पर धर्म, जाति के नाम पर साम्प्रदायिकता का जहर समाज में घोलने का आरोप लगा रहा है।
चुनावी लड़ाई को अमीर और गरीब के बीच संघर्ष
झामुमो-कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर पैसे के बल पर परिवार, पार्टी और समाज को तोड़ने का भी आरोप प्रमुखता से लगाया है। हेमंत केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ लगातार सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगा रहे हैं। वह लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि उनकी सरकार गरीब, आदिवासी, मूलवासी, पिछड़े, दलित किसान, मजदूर के आशीर्वाद से बनी और चल रही है, वह इन वर्गों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं तो भाजपा के पेट में दर्द हो रहा है। उन्होंने चुनावी लड़ाई को अमीर और गरीब के बीच संघर्ष बताया है।
2019 की बढ़त को रोकना भाजपा के लिए चुनौती
पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम में संथाल और कोल्हान में झामुमो-कांग्रेस को मिली बढ़त को रोकना भाजपा के लिए मुख्य चुनौती है। संथाल में छह जिले और 18 विस क्षेत्र हैं। संथाल में आदिवासी, मुस्लिम आबादी अधिक है। 2019 में झामुमो ने 9 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस और भाजपा के खाते में चार-चार सीटें आई थी। वहीं कोल्हान में तीन जिले और 14 विस क्षेत्र हैं। 2019 में झामुमो को 11, कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। पूर्वी जमशेदपुर से निर्दलीय सरयू राय ने सीटिंग सीएम रघुवर दास को हराया था। भाजपा खाता नहीं खोल सकी थी।