मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, सुरक्षा बलों के साथ झड़प में एक प्रदर्शनकारी की मौत

इंफाल। मणिपुर (Manipur) के कांगपोकपी जिले (Kangpokpi district) के विभिन्न हिस्सों में कुकी प्रदर्शनकारियों (Kuki protesters) और सुरक्षा बलों (Security forces) के बीच शनिवार को हुई झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि महिलाओं और पुलिसकर्मियों समेत 40 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मृतक की पहचान लालगौथांग सिंगसिट के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि 30 वर्षीय सिंगसिट को कीथेलमानबी में झड़पों के दौरान गोली लगी और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
कुकी बहुल जिले में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें उस समय हुईं, जब पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। प्रदर्शकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्य भर में मुक्त आवाजाही की अनुमति देने के निर्देश का विरोध कर रहे थे। स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने निजी वाहनों में आग लगा दी और इंफाल से सेनापति जिले की ओर जा रही राज्य परिवहन की बस को रोकने का प्रयास किया।
पुलिस ने बताया कि गमगीफई, मोटबंग और कीथेलमनबी में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 16 प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए पास के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। हालांकि, अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार घायल हुए नागरिकों की संख्या 23 से अधिक है। मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि जिले में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 27 सुरक्षाकर्मी घायल हुए और प्रदर्शनकारियों की ओर से गोलीबारी की घटनाएं हुईं, जिससे उन्हें जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – दो (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी अवरुद्ध कर दिया और सरकारी वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए टायर जलाए। यह विरोध प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) की ओर से आयोजित शांति मार्च के खिलाफ भी था। एफओसीएस एक मेइती संगठन है। इस शांति मार्च को कांगपोकपी जिले में पहुंचने से पहले ही सुरक्षा बलों ने सेकमई में रोक दिया। इस मार्च में 10 से अधिक वाहन शामिल थे।
पुलिस ने दावा किया कि उन्हें मार्च रोकने के लिए कहा गया था, क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि ‘‘हम केवल आदेशों का पालन कर रहे हैं। हमें मार्च रोकने के लिए कहा गया है। अगर वे जाना चाहते हैं, तो वे बसों में जा सकते हैं, जिसकी व्यवस्था सरकार करेगी।’ हालांकि, एफओसीएस के सदस्यों ने यह कहते हुए विरोध किया कि वे केवल गृह मंत्री के निर्देश का पालन कर रहे थे, जिसमें शनिवार से पूरे राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति दी गई है।
इस बीच, कुकी-जो गांव के स्वयंसेवकों के समूह द्वारा एक अज्ञात स्थान से जारी एक कथित वीडियो में कहा गया है कि यह स्वतंत्र आवाजाही के बारे में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ है और एक अलग प्रशासन की मांग करता है। वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उनके क्षेत्रों में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।
इस बीच, एक बयान में कहा गया है कि मुक्त आवागमन की पहल का विरोध करते हुए कुकी ज़ो परिषद ने शनिवार आधी रात से कुकी-ज़ो के सभी इलाकों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है । इसमें कहा गया है, ‘केंद्र सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह लोगों की रक्षा करने और अशांति को रोकने के लिए अंतर्निहित मुद्दों का समाधान करे। कुकी-ज़ो परिषद ने सरकार से तनाव और हिंसक टकराव को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।’ परिषद ने यह भी कहा, ‘हम बफर ज़ोन में मेइती लोगों की मुक्त आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकते और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकते।’