सिंधु जल समझौता तोड़ने के बाद भारत अब पाकिस्तान को नई टेंशन देने की तैयारी, जाने…

नई दिल्ली, भारत ने पाकिस्तान के साथ नदी से जुड़ा डेटा शेयर नहीं करने पर भी विचार किया है। दरअसल, IWT के तहत हर महीने और 3 महीने में कम से कम एक बार डेटा शेयर करना जरूरी है।
Indus Water Treaty: IWT यानी सिंधु जल समझौता तोड़ने के बाद भारत अब पाकिस्तान को नई टेंशन देने की तैयारी कर रहा है। खबर है कि लंबे समय समय से IWT के कारण अटकी परियोजनाओं में भारत सरकार तेजी लाने जा रही है। दरअसल, किसी भी नए कार्य से पहले IWT के तहत भारत को पाकिस्तान को 6 महीने पहले नोटिस देना होता है। कहा जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ IWT से जुड़ी सभी बैठकों को रोकने की योजना बनाई है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चिनाब-झेलम-सिंधु एक्सिस पर किरु से क्वार तक हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स के काम में तेजी लाए जाने की तैयारी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन परियोजनाओं के रफ्तार पकड़ने से हिमालयी क्षेत्र को करीब 10 हजार मेगावाट का फायदा हो सकता है। खास बात है कि IWT के तहत पाकिस्तान की तरफ से आपत्तियां जताए जाने के बाद कई प्रोजेक्ट्स का काम अटक जाता है।
एक और झटका
हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स में तेजी और बैठकों में नहीं जाने पर विचार के अलावा खबर है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर नहीं करने पर भी विचार कर रहा है। इसमें बाढ़ का डेटा भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस संबंध में सभी कानूनी पहलुओं पर गौर कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के साथ नदी से जुड़ा डेटा शेयर नहीं करने पर भी विचार किया है। दरअसल, IWT के तहत हर महीने और 3 महीने में कम से कम एक बार डेटा शेयर करना जरूरी है।
क्या होगा फायदा
540 मेगावाट क्वार, 1000 मेगावाट पकल दुल, 624 मेगावाट किरु, 390 मेगावाट किरथई एक, 930 मेगावाट किरथई 2, 1856 मेगावाट सावलकोट समेत अन्य हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स में तेजी आने से जम्मू और कश्मीर को मिलने वाली बिजली में काफी इजाफा हो जाएगा।
इसके अलावा कई प्रोजेक्ट पावर प्लान में भी यह सहायक होगा। इनमें तुलबुल से बगलीहार, किशनगंगा, रतले, उरी, लोअर कलनई समेत कई योजनाएं शामिल हैं। IWT के तहत पाकिस्तान की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बाद ये योजनाएं अटक गई थीं। इसके अलावा भारत मौजूदा बांध परियोजनाओं में फ्लशिंग नहीं कर पा रहा था।
जलाशय ‘फ्लशिंग’ एक ऐसी तकनीक है जिसका इस्तेमाल जलाशयों में गाद को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। इसमें जमा हुए गाद को बाहर निकाला जाता है। इसमें जलाशय से उच्च जल प्रवाह को छोड़ना भी शामिल है।