भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने की भविषयवाणी, इस साल झूमकर बरसेंगे बदरा

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नई दिल्ली, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने मंगलवार को कहा कि इस साल दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, मॉनसूनी बारिश औसत से 105% तक हो सकता है।

इस साल झूमकर बरसेंगे बदरा, मौसम विभाग ने दी खुशखबरी; पर डरने वाली बात का भी किया जिक्र
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भविषयवाणी की है कि इस साल मॉनसून के सीजन में देशभर में सामान्य से ज्यादा यानी जोरदार बारिश होगी। मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18% का योगदान देता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने मंगलवार को कहा कि इस साल दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, मॉनसूनी बारिश औसत से 105% तक ज्यादा हो सकती है।

इसके साथ ही IMD ने पूरे मौसम के दौरान अल नीनो की स्थिति की संभावनाओं को खारिज कर दिया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारत में चार महीने के मॉनसून मौसम (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, और कुल संचयी दीर्घावधि वर्षा औसत से 105 फीसदी ज्यादा यानी 87 सेमी तक रहने का अनुमान है।”

अलनीनो की संभावना नहीं
उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मॉनसूनी वर्षा से जुड़ी अल नीनो जैसी स्थिति के इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है। बता दें कि देश में मॉनसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देता है। उसके बाद वह आगे बढ़ते हुए पूरे देश में छा जाता है। फिर सितंबर के मध्य में मॉनसून की वापसी शुरू हो जाती है।

डराने वाली क्या बात?
उन्होंने इसके साथ ही कुछ डराने वाली बातों का भी जिक्र किया और कहा कि देश के कुछ हिस्से पहले से ही अत्यधिक गर्मी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अप्रैल से जून के बीच अनेक राज्यों में काफी अधिक संख्या में लू चलने की संभावना है। इससे बिजली ग्रिड पर दबाव बढ़ सकता है और कुछ हिस्सों में सूखे की समस्या खड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि पेयजल का भी संकट खड़ा हो सकता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसके लिए मॉनसून बहुत महत्वपूर्ण है,क्योंकि अधिकांश सिंचाई मॉनसूनी बारिश पर ही निर्भर करती है। खेतीबारी देश के लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की मुख्य आजीविका का आधार है और यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है।

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