इस्राइल-फलस्तीन पर फैसला लेते वक्‍त राष्ट्रीय हित भी देखेगा भारत

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  • विदेश मंत्री जयशंकर ने राज्यसभा में कहा-भारत ने हमेशा दो राष्ट्र समाधान का किया समर्थन

नई दिल्‍ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि इस्राइल और फलस्तीन पर फैसला लेते समय भारत बड़े मुद्दों को ध्यान में रखेगा, लेकिन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हित भी देखेगा। जयशंकर ने कहा कि इस्राइल और फलस्तीन संघर्ष खत्म करने के लिए भारत ने हमेशा दो राष्ट्र समाधान यानी अलग फलस्तीन देश का समर्थन किया है। इस पर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस्राइली बंधकों के मुद्दे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान इस्राइल और फलस्तीन के बीच जारी संघर्ष पर भारत की स्थिति के बारे में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि देशों को विभिन्‍न परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार है, लेकिन उन्हें नागरिकों के हताहत होने का ध्यान रखना चाहिए। हम आतंकवाद की, हर तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं। हम बंधक बनाने की निंदा करते हैं। हम मानते हैं कि देशों को विभिन्‍न परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार है, लेकिन नागरिकों के हताहत होने का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें मानवीय कानूनों का पालन करना चाहिए। हम युद्धविराम और हिंसा का जल्द अंत चाहते हैं।

इसलिए यूएन में बनाई दूरी

संयुक्त राष्ट्र में गत वर्ष अक्टूबर नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी व मानवीय दायित्वों से जुड़े प्रस्ताव पर भारत के अलग रहने पर जयशंकर ने कहा कि प्रस्ताव को ठीक से तैयार नहीं किया गया था। न ही ठीक से, विचार किया गया था। हमारी चिंता को समायोजित नहीं किया गया। इसलिए हमने मतदान से परहेज किया।

इस्राइल-फलस्तीन…सरकार मानवीय मदद भेजने के फैसले पर कायम

तृणमूल सांसद साकेत गेखले ने संयुवत राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) पर इस्राइल सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंध और भारत की ओर से फलस्तीन को सहायता भेजने के बारे में पूछा। इस पर जयशंकर ने कहा कि सरकार मानवीय सहायता भेजने के फैसले पर कायम है। विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने कठिन समय में फलस्तीन के लोगों को मदद दी है। भारत ने मुख्य सहायता प्रदान करने वाली एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए को सालाना मदद 10 से बढ़ाकर 50 लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया है। फिलस्तीन को 2023 में 16.5 मीट्रिक टन और 2024 में 65 मीट्रिक टन दवा भेजी है।

नेतन्याहू को वारंट…भारत अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का सदस्य नहीं

युद्ध अपराधों के लिए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इस्नाइल के पूर्व रक्षा मंत्री योआब गैलेंट और हमास नेता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के वारंट पर भारत की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का सदस्य नहीं है।

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