INCOME TAX: कभी दस हजार पर एक आना, अब 12 लाख की आय कर मुक्त
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एतिहासिक राहत: पांच दशक पहले छह हजार की आय को कर के दायरे से किया गया था बाहर
नई दिल्ली। देश में कभी छह हजार रुपये की सलाना आय पर एक आने का टैक्स देना पड़ता था। करीब 75 साल बाद अब आयकर से छूट की सीमा को बढ़ा कर मानक कटौती सहित 12.75 लाख रुपये कर दिया गया है। पांच दशक पहले सालाना छह हजार को आय कर के दायरे से बाहर किया गया था, जबकि 1985-86 तक मध्य वर्ग को एक लाख रुपये की सालाना आय पर 50 प्रतिशत आय कर देना होता था।
मध्य वर्ग को आय कर से राहत देने की शुरुआत 1949-50 में वित्त मंत्री जॉन मथाई ने की। तब उन्होंने दस हजार की आय पर एक चौथाई की कटौती करते हुए एक आने का आय कर लगाया था। तब दस हजार से अधिक आय वाले वर्ग को आय कर के रूप में 1.9 आना चुकाना पड़ता था।
नई सदी में ज्यादा राहत
नई सदी में यूपीए 1 के शासनकाल में 2005-06 में पेश किए गए बजट में एक लाख रुपये तक को आय को पूर्ण छूट के दायरे में शामिल किया गया। तब 2.5 लाख से अधिक के सालाना कमाई पर 30 फीसदी कर लगाया गया। इस टैक्स को लेकर कई कर विपक्ष ने विरोध जताया और आम जनता ने भी इसके खिलाफ आंदोलन किए। खासतौर पर नागरिक समूहों ने बढ़ती टैक्स दरों के खिलाफ सरकार को कई बार कहा।
15 सालों में 1.6 लाख से 12.75 लाख का सफर
कर मुक्त आय को सीमा बीते 15 साल में 1.6 लाख से बढ़ कर 12.75 लाख रुपये हो गई। वित्त मंत्री रहते प्रणब मुखर्जी ने 2010-11 में प्रणब मुखर्जी ने 1.6 लाख तक की आय को करमुक्त कर दिया। इसके अगले साल इस सीमा को दो लाख रुपये तक बढ़ाया गया। इसके पांच साल बाद 2017-18 में वित्त मंत्री रहते अहण जेटली ने करमुक्त आय को सीमा 3.5 लाख रुपये कर दी। धीरे-धीरे इस सीमा में हर बजट में बढ़ोत्तरी हुई और यह 12.75 लाख तक पहुंच गई। इस दौरान पांच साल पहले मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में नई कर व्यवस्था लागू किया।
एक लाख की आय पर 50 फीसदी कर
देश में 40 साल पहले एक लाख की सालाना आय पर 50 फीसदी आय कर देना होता था। 1985-86 में वित्त मंत्री रहते वीपी सिंह ने आम बजट में इस आशय की घोषणा की थी। इसके याद राव सरकार में वित्त मंत्री रहते दिवंगत पीएम मनमोहन सिंह ने 1992-93 के आम बजट में 50 हजार से एक लाख की आय पर 30 फीसदी आय कर प्रावधान किया था। जबकि 30 हजार तक की आय को कर के दायरे से बाहर कर दिया था।