Haryana Elections 2024: भाजपा-कांग्रेस के समीकरण पर बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों का असर, ऐसे समझें पूरा गणित

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Haryana Assembly Elections: गुडगांव के अलावा NCR में आने वाले हरियाणा के दूसरे जिले फरीदाबाद की विधानसभा चुनाव वाली छह सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है। लेकिन, यहां सबसे खास बात ये है कि बागी और निर्दलीय प्रत्याशी दोनों दलों के समीकरण बिगाड़ते दिख रहे हैं।

दरअसल दिल्ली से सटी होने के कारण फरीदाबाद विधानसभा सीट हॉट सीट बन गई हैं। बीते दो विधानसभा चुनाव से फरीदाबाद में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। एक ओर पार्टी यहां जीत की हैट्रिक लगाने की तलाश में है, लेकिन कांग्रेस के सामने इस बार उसकी राह आसान होती नहीं दिख रही है।

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इस बार सियासी माहौल और प्रत्याशियों के समर्थन के बारे में पूछने पर जहां यहां के लोग खुलकर नहीं बाेलने से बचते दिख रहे हैं। वहीं बातचीत के दौरान उनके द्वारा अपनी नाराजगी भी जता दी गई। इस दौरान जहां कुद लोगों का कहना था कि हमने पार्टी से अलग होकर विकास की उम्मीद में 2019 में निर्दलीय को जिताया था, लेकिन वह तो भाजपा के साथ चले गए, और क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ। इसी कारण हम भाजपा से भी नाराज हैं। वहीं इससे इतर कई क्षेत्रों में लोगों का कहना था कि हमारे क्षेत्र में कॉलेज, अस्पताल और सीवरेज जैसी सुविधाएं नहीं है।

इसके अलावा कई दूसरी सीटों पर अनेक लोगों का मानना हे कि इस बार परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। ऐसे में जहां प्रत्याशी चुनाव मैदान में वादों और संपर्क के जरिये मतदाता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं कई जगहों पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल भी जारी है।

ये समीकरण बनते दिख रहे हैं: ऐसे समझें हर विधानसभा सीट का पेंच…

1. फरीदाबाद: फरीदाबाद सीट पर जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है। वहीं यहां वैश्य वोट ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही वैश्य प्रत्याशी को ही मैदान में उतारा है।

2. फरीदाबाद एनआईटी: यहां से कांगेस को पिछले चुनाव में जीत मिली थी। ऐसे में इस बा भाजपा ने यहां से पूर्व में चुनाव लड़े नागेंद्र भड़ाना का टिकट काट दिया है, और इस बार उनकी जग​ह सतीश फागना को टिक देकर मैदान में उतारा है। वहीं अपना टिकट कटने से नाराज होकर नागेंद्र भड़ाना इनेलो में जा मिले हैं। जिसके बाद से वह इनेलो-बसपा गठबंधन के टिकट पर उम्मीदवार हैं। कुल मिलाकर ऐसी स्थिति में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।

3. तिगांव: इस सीट पर कांग्रेस से बागी हुए ललित नागर दोनों प्रमुख दलो यानि भाजपा ओर कांग्रेस के लिए सरदर्द बनते दिख रहे हैं। दरअसल तिगांव सीट पर कांग्रेस ने इस बार ललित नागर की जगह युवा नेता रोहित नागर को मैदान में उतारा है। वहीं अपना टिकट काटने से बागी हुए ललित नागर ने निर्दलीय रूप में चुनाव की ताल ठोक दी हैं। इस कारण कांग्रेस कार्यकर्ता भी बंट गए हैं। जबकि भाजपा ने यहां से अपने मौजूदा विधायक राजेश नागर पर ही भरोसा जताया है। कुल मिलाकर तिगांव सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ललित नागर कांग्रेस और भाजपा के समीकरण बिगाड़ते नजर आ रहे हैं।

4. बल्लभगढ़: बल्लभगढ़ सीट पर कांग्रेस से बागी हुई शारदा राठौर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। जिसके चलते यहां के समीकरणों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि समीकरणों का ये बदलाव कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। दरअसल बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक शारदा राठौर का टिकट काटकर पराग शर्मा को टिकट दिया है। जिससे नाराज होकर शारदा राठौर निर्दलीय के रूप में चुनाव में उतर गईं हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने 2014 और 2019 में यहां से जीते मूलचंद शर्मा पर ही भरोसा जताया है।

5. बड़खल : इस बार दो बार के पार्षद रहे धनेश अदलखा को बीजेपी ने बड़खल सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। परंतु धनेश पर गंभीर आरोप के चलते मतदाताओं में उनके प्रति नाराजगी है। जबकि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर विजय प्रताप सिंह को उतारा गया है। ऐसे में मुकाबला इन दोनों के बीच ही देखने को मिल रहा है। लेकिन यहां ये भी समझ लें कि भाजपा की ओर से सीमा त्रिखा का टिकट कटाने जाने से वह नाराज बनी हुई हैं, ऐसे में उनकी नाराजी का खामियाजा भी भाजपा को उठाना पड़ सकता है यानि इसका नुकसान बीजेपी को होने की संभावना बनी हुई है।

6. पृथला: पृथला सीट पर इस बार काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। दरअसल पूरी तरह से ग्रामीण अंचल की इस सीट पर भाजपा ने 2014 में बसपा से विधायक रहे टेकचंद शर्मा को अपने उम्मीदार के रूप में सामने उतरा है। तो वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर रघुवीर तेवतिया को टिकट दे दिया है। इसके अलावा दोनों दलों के समीकरण निर्दलीय उम्मीदवार नयनपाल रावत प्रभावित करते दिख रहे हैं। जिसके चलते इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आता है।

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