Haryana, Jammu kashmir: चुनाव नतीजों के मायने

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Haryana, Jammu and Kashmir election 2024 Results Meaning: भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में जिस तरह लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया, उससे अगले कुछ महीनों में होने वाले महाराष्ट्र झारखंड और अगले वर्ष दिल्ली के विधानसभा चुनावों से पहले उसे जरूरी प्रोत्साहन तो मिलेगा ही, इससे लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन के बढ़े हुए उत्साह के बीच राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा की बढ़त भी स्पष्ट होती है।

दरअसल, 2018 के बाद से कांग्रेस ने 2022 में हिमाचल प्रदेश में मिली जीत को छोड़कर, उत्तर भारत में एक भी चुनाव नहीं जीता है। लोकसभा चुनाव में, खासकर उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि हरियाणा में उसकी जीत से इस धारणा को जल मिलेगा कि भाजपा उत्तर भारत में अपनी पकड़ खो रही है। लेकिन भाजपा की जीत इस मायने में खास है कि वहां उसने 2014 की लहर के दौर से भी ज्यादा सोटें जीती हैं। कांग्रेस की हार भूपिंदर सिंह हुड्डा के लिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि भाजपा ने उनके गढ़ माने जाने वाले जाट बहुल क्षेत्रों में सेंघ लगाई है।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा में भारी सत्ता विरोधी लहर और किसान-पहलबान के मुद॒दों के साथ जाट समीकरण को बार-बार दोहराया गया था। इसके बिपरीत नए चेहरों पर दांव खेलने और संभावित वोटों पर माइक्रो मैनेजमेंट पर जोर देने की भाजपा की रणनीति ज्यादा कारगर साबित हुईं।

माहौल के बजाय यथास्थिति पर ध्यान दिया जाता या स्थानीय नेतृत्व के नीच रस्साकशी न होती या अति आत्मविश्वास न होता-जैसे कई बिंदुओं पर कांग्रेस ही बेहतर आत्ममंथन कर सकती है। अलबत्ता भाजपा के नरम पड़ते उत्साह को हरियाणा के नतीजों ने नई ऊर्जा अवश्य दी है। इसका असर पड़ोसी दिल्‍ली के साथ महाराष्ट्र ब झारखंड के आसन्न चुनावों में देखने को मिल सकता है।

दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पहली बार संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और अन्य छोटे दलों को नकार कर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन को स्पष्ट बहुमत देकर एक स्थिर व सशक्त सरकार के गठन की ही मंशा जाहिर की है। बेशक भाजपा की कुछ परंपरागत गढ़ों पर पकड़ बरकरार है, लेकिन जम्मू-कश्मीर पर राजनैतिक वर्चस्व कौ लड़ाई स्वाभाविक ही अब अलग मुकाम पर दिखाई देगी।

जिस तरह जम्मू-कश्मीर ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उत्साहपूर्ण भागीदारी की है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि स्थानीय सरकार और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय से जम्मू-कश्मीर बेहतर विकास और वांछित अमन-चैन के रास्ते पर अग्रसर होगा।

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