ईडी ने 10 साल में की 193 MP-MLAs पर कार्रवाई, सजा मात्र दो को ही दिला पाई

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने संसद (Parliament) में बताया किया है कि पिछले दस वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate (ED) ने मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कुल 193 मामले दर्ज किए हैं। हालांकि, इनमें से केवल दो मामलों में ही दोषी करार दिए गए हैं। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Minister of State for Finance Pankaj Choudhary) ने राज्यसभा सांसद ए.ए. रहीम के एक सवाल के जवाब में दी।

मंत्री ने बताया कि ईडी ने 2014 से 2024 तक धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत यह कार्रवाई की। इन 193 मामलों में से अधिकांश की जांच अभी भी जारी है, लेकिन केवल दो मामलों में ही अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई। इससे ईडी की कार्रवाई और उसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दलों ने लंबे समय से आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए कर रही है।

सांसद एए रहीम ने ईडी द्वारा दर्ज मामलों को लेकर निम्नलिखित सवाल पूछे थे:
– पिछले 10 वर्षों में सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासन से जुड़े सदस्यों पर दर्ज मामलों की संख्या, जिसे पार्टी, राज्य और वर्षवार श्रेणीबद्ध किया जाए।
– दोषसिद्धि, बरी होने और लंबित जांच का वर्षवार डेटा।
– विपक्षी नेताओं के खिलाफ बढ़ते मामलों की जांच और इस प्रवृत्ति के औचित्य का विवरण।
– ईडी की जांच में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए सुधार।

ईडी के आंकड़े और निष्कर्ष
राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासन से जुड़े नेताओं पर दर्ज मामलों को पार्टी और राज्यवार नहीं रखा जाता। हालांकि, उन्होंने वर्षवार मामलों का विवरण प्रस्तुत किया। सबसे अधिक मामले अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच दर्ज किए गए, जब कुल 32 मामले दर्ज हुए। मंत्री ने आगे बताया कि पिछले 10 वर्षों में दर्ज किए गए 193 मामलों में केवल दो मामलों में दोषसिद्धि हुई है, जबकि अब तक किसी भी मामले में बरी नहीं किया गया है।

विपक्षी नेताओं पर बढ़ते मामलों को लेकर क्या कहा सरकार ने?
जब विपक्षी नेताओं के खिलाफ हाल के वर्षों में बढ़ते मामलों और इस प्रवृत्ति के औचित्य के बारे में पूछा गया, तो मंत्री ने जवाब दिया कि इस संबंध में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी सिर्फ ठोस सबूतों और प्रमाणों के आधार पर जांच शुरू करता है और किसी भी मामले में राजनीतिक, धार्मिक या अन्य आधारों पर भेदभाव नहीं करता। ईडी की जांच प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने को लेकर पूछे गए सवाल पर सरकार ने कहा कि ईडी की सभी कार्रवाई न्यायिक समीक्षा के अधीन होती हैं, और यह एजेंसी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए मामले दर्ज करती है।

चौधरी ने आगे कहा कि ईडी ने पिछले एक दशक में कुल 5,297 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से 4,467 मामले 2019 से 2024 के बीच दर्ज हुए। इनमें से 40 मामलों में सजा हुई, जबकि तीन में बरी किया गया। हालांकि, राजनीतिक नेताओं से संबंधित मामलों में दोषसिद्धि का आंकड़ा बेहद कम रहा है।

इस खुलासे के बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार पर हमला बोला है। उनका दावा है कि ईडी की कार्रवाई का उपयोग विरोधियों को डराने और उनकी छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है, जबकि परिणाम न के बराबर मिल रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि ईडी स्वतंत्र रूप से काम कर रही है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है।

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