केन्द्र के राज्यों को निर्देश- गर्मी में सार्वजनिक आयोजन में प्रति व्यक्ति 2 लीटर पानी और मेडिकल टीम अनिवार्य

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने राज्यों (States) से कहा है कि प्रशासन के साथ साथ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर खास ध्यान देना चाहिए। अगले तीन से चार दिन उनके आसपास का मौसम कैसा है और उसके आधार पर उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं? इस बारे में लोगों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है और जिन क्षेत्रों में गर्मी या लू (Heatwave) को लेकर हाई अलर्ट (High alert) है, वहां लोगों को अपनी दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

मौसम विभाग की तरफ से इस वर्ष भीषण गर्मी (Extreme heat) का पूर्वानुमान जताए जाने के बाद केंद्र ने सार्वजनिक कार्यक्रमों को लेकर नया नियम लागू किया है। इसके तहत, किसी धार्मिक, सरकारी, राजनीतिक या अन्य किसी अन्य बड़े सार्वजनिक आयोजन के दौरान प्रति व्यक्ति दो लीटर के हिसाब से पेयजल की व्यवस्था करनी अनिवार्य है। यह नियम आगामी जुलाई माह तक लागू रहेंगे।

केंद्र ने इस बाबत सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि देश के कुछ हिस्सों में तापमान बढ़ने से गर्म हवाएं और भीषण गर्मी का अनुभव किया जा रहा है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि मार्च से लेकर जुलाई माह तक देश के 20 से ज्यादा राज्यों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में लोगों को इस मौसमी प्रभाव से बचाने के लिए तत्काल सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर व्यवस्था की समीक्षा की जाए। जिला प्रशासन इस अवधि में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों को निर्धारित नियमों के तहत ही अनुमति दे।

रोज भेजनी होगी रिपोर्ट
केंद्र ने लू या गर्मी से किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसके पोस्टमार्टम को लेकर भी दिशा निर्देश लागू किए हैं जिन्हें नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र की वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है। इसके अलावा, सभी स्वास्थ्य केंद्रों को हर दिन ऐसे मामलों की सूचना राज्य और केंद्र स्तर पर भेजना अनिवार्य है। उन्होंने राज्यों से कहा है कि सबसे पहले अस्पतालों में इमरजेंसी कूलिंग और उसके बाद यातायात यानी एंबुलेंस सेवा को लेकर व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।

स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों के लिए कूलिंग प्रणाली की हो व्यवस्था
दिशा-निर्देशों के तहत भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में मेडिकल टीमों की तैनाती अनिवार्य है, जिनके पास ओआरएस घोल से लेकर बर्फ के पैक्स तक होने चाहिए। राज्यों को भेजे निर्देश में कहा गया है कि गर्मी की चपेट में आए मरीजों के तापमान को तत्काल नीचे लाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर कूलिंग प्रणाली व्यवस्था होनी चाहिए।

सबसे गर्म तीन घंटे की अवधि में छांव में रहें
राज्यों से आम लोगों तक यह जानकारी पहुंचाने को कहा है कि मार्च से लेकर मई और जून माह तक प्रतिदिन दोपहर 12 से शाम तीन बजे के बीच धूप या गर्मी से सीधे संपर्क में आने से बचें। कोशिश करें कि इस अवधि में छांव का सहारा लिया जाए क्योंकि इसी अवधि में दिन का सबसे अधिक तापमान होता है।

पांच सौ लोगों पर पानी का एक स्टॉल जरूरी
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि बड़े आयोजनों में 500 लोगों पर कम से कम एक पानी का स्टॉल होना अनिवार्य है। मंत्रालय का कहना है कि आमतौर पर एक व्यक्ति को दिनभर में कम से कम चार लीटर पानी पीना चाहिए।

125 साल में ऐसी गर्मी नहीं पड़ी
दरअसल, भारतीय मौसम विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 125 वर्षों में कभी इतनी गर्मी नहीं पड़ी, जितनी इस साल फरवरी में दर्ज की गई। हाल के वर्षों की तुलना में इस बार रातें भी पहले ही गर्म होने लगी हैं। फरवरी में ही गोवा और महाराष्ट्र में पहली लू का सामना किया। फरवरी में 31 राज्यों में कम से कम एक बार रात में तापमान सामान्य से कम से कम एक डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। लंबे समय तक रात और दिन दोनों समय बहुत अधिक तापमान के संपर्क में रहने से लोगों में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इससे मृत्यु दर बढ़ सकती है। साथ ही फसलों को नुकसान हो सकता है।

चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक से बचना जरूरी
लोगों को चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचने की सलाह भी दी गई है। दिशानिर्देश में कहा गया है कि इसके सेवन से लोगों को राहत नहीं, बल्कि शरीर में पानी की मात्रा कम होने की आशंका ज्यादा रहेगी, जिससे उन्हें कई तरह का स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है।

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