बढ़ने वाले हैं कारों के दाम, जानें अप्रैल में क्यों महंगी हो जाती हैं कारें?

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नई दिल्ली। अगले महीने यानी अप्रैल (April) से ज्यादातर कंपनियों (Cars Companies) की कारें महंगी (Cars expensive) होने वाली हैं। प्रोडक्शन लागत में बढ़ोतरी और परिचालन खर्च बढ़ने के बीच दिग्गज कंपनियों मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki), महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra), हुंदै और अन्य ने अगले महीने से अपने वाहनों के दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया है।

देश में पैसेंजर कार सेगमेंट की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने अगले महीने से अपने सभी मॉडल के दाम 4 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की है। ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनी भारतीय बाजार में एंट्री लेवल की ऑल्टो के-10 से लेकर बहुउद्देश्यीय वाहन इनविक्टो तक विभिन्न मॉडल बेचती है। इनकी कीमत क्रमशः 4.23 लाख रुपये से 29.22 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) तक है।

मारुति की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हुंदै मोटर इंडिया ने कहा कि वह कच्चे माल और परिचालन लागत में वृद्धि के कारण अप्रैल, 2025 से अपनी कारों के दाम तीन प्रतिशत तक बढ़ाएगी। इसी तरह, टाटा मोटर्स अप्रैल से अपने इलेक्ट्रिक वाहन सहित सभी यात्री वाहनों के दाम बढ़ाने जा रही है। टाटा मोटर्स इस साल दूसरी बार अपने वाहनों के दाम बढ़ाने की घोषणा की है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कहा है कि वह अप्रैल से अपने स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) और वाणिज्यिक वाहनों की कीमतों में तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करेगी। किआ इंडिया, होंडा कार्स इंडिया, रेनो इंडिया और बीएमडब्ल्यू ने भी अगले महीने से अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

डेलॉयट के भागीदार और वाहन क्षेत्र के लीडर रजत महाजन ने कहा कि भारत में कार विनिर्माता आमतौर पर दो बार कीमतों में बढ़ोतरी करते हैं। एक कैलेंडर वर्ष की शुरुआत में और दूसरा वित्त वर्ष की शुरुआत में। उन्होंने कहा, ”बढ़ोतरी की सीमा अलग-अलग हो सकती है, यह मुद्रा में उतार-चढ़ाव से संबंधित हो सकता है, जहां हमें समान उत्पाद, वस्तु या कलपुर्जा आयात करने के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता होती है।”

क्यों बढ़ा रहे दाम
पिछले छह महीनों में, रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे आयात पर अधिक निर्भर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रोडक्शन की लागत पर असर पड़ता है। महाजन ने कहा, ”अन्य कारणों में प्रवेश स्तर के वाहनों की मांग में कमी से भी वाहन कंपनियां प्रभावित हुई हैं।

पहली बार एंट्री लेवल के वाहनों की मांग में कमी
खासकर पहली बार के खरीदारों और ग्रामीण ग्राहकों से एंट्री लेवल के वाहनों की मांग में कमी आई है, जिससे वाहन कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है।” इसके अलावा कारों में नियमित रूप से नए ‘फीचर’ जोड़े जा रहे हैं। इस वजह से भी कंपनियों को अपनी कारों के दाम बढ़ाने पड़ते हैं।

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