अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा, कोर्ट ने जारी किया नोटिस
- दरगाह समिति, केंद्र व एएसआई से जवाब तलब, मंदिर में पूजा की मांगी अनुमति
अजमेर स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर कोर्ट ने तीन पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से जबाब मांगा है। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका में कोर्ट से शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति देने का आग्रह भी किया गया हैं।
सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर तय की है। याचिकाकर्ता ने कहा, जज ने उनसे याचिका दायर करने की वजह पूछी। उन्होंने सभी तथ्य बताए, जिसके वाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए।
वकील योगेश सिरोजा ने बताया कि दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए सितंबर में मुकदमा दायर किया गया था। इसमें फिर से पूजा शुरू करने का निर्देश मांगा गया है। याचिका में दरगाह को संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित करने और दरगाह का पंजीकरण रद्द करने कौ मांग की गई है।
किताब का जिक्र : याचिका में कहा है कि इतिहासकार हरविलास शारदा ने 1910 में अपनी पुस्तक में मंदिर के बारे में लिखा था। धारणा है, तहखाने में महादेव को मूर्ति है।
नफरत पैदा करने की साजिश : दरगाह अंजुमन के सचिव सैयद सरबर चिश्ती ने कहा कि याचिका मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत पैदा करने के लिए दायर किया गया।