वोटो की ध्रुवीकरण के बीच AAP का जाट दांव, हरियाणा की इस सीट पर जबरदस्‍त टक्‍कर

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ई दिल्‍ली । चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन के बाद वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अस्तित्व में आए बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र की गिनती प्रदेश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र के रूप में होती है। इस बार बादशाहपुर विधानसभा का चुनाव बड़ा रोचक होने वाला है।

यहां राजनीति के पुराने खिलाड़ी और पूर्व मंत्री राव नरबीर बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस पार्टी से वर्धन यादव पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, दिवंगत विधायक राकेश दौलताबाद की पत्नी कुमुदनी ने भी यहां निर्दलीय के तौर पर ताल ठोंक मुकाबला रोचक बना दिया है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी जातीय समीकरण बैठाकर बीरू सरपंच पर दावं खेलकर पेंच फंसा दिया है।

वैसे तो इस विधानसभा क्षेत्र की अपनी कई खासियत हैं। नए गुड़गांव का काफी बड़ा इलाका इस विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिनके रुख को भांप पाना उम्मीदवारों के लिए आसान नहीं हैं तो फरुखनगर कस्बे का बहुत बड़ा ग्रामीण इलाका भी इस विधानसभा क्षेत्र में आता है। पालम विहार इलाके की कई कालोनियां भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आती हैं जो आज भी विकास की बाट जोह रही हैं।

गैर यादव मतदाताओं की तादाद कम नहीं

यादव बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र में माने जाने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में गैर यादव मतदाताओं की तादाद कम नहीं हैं, जिनमें जाट और ब्राहमण मतदाताओं की तादाद भी अच्छी खासी है। जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही यहां भाजपा और कांग्रेस ने यादव उम्मीदवारों पर दांव लगाया है तो आम आदमी पार्टी ने दूसरे नंबर पर आने वाले जाट मतदाताओं की तादाद को ध्यान में रखते हुए जाट जाति से ताल्लुक रखने वाले नेता को अपना उम्मीदवार बनाया है। जो मुद्दे गुडगांव विधानसभा क्षेत्र में हैं करीब करीब वही मुद्दे इस विधानसभा क्षेत्र में हैं, लेकिन जातीय मसला इन सभी पर धीरे-धीरे हावी हो चला है।

दो बार अहीर नेता तो एक बार जाट बने हैं विधायक

साल 2009 के पहले चुनाव में कांग्रेस के राव धर्मपाल ने निर्दलीय प्रत्याशी राकेश दौलताबाद को मात देकर यह सीट हासिल की थी, जबकि साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के राव नरबीर सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी राकेश दौलताबाद को 18 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था। वहीं 2019 में राव नरबीर सिंह का टिकट कट गया था।

कांग्रेस ने राव कमलबीर पर दावं खेला तो भारतीय जनता पार्टी ने मनीष यादव को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे राकेश दौलताबाद ने अहीरवाल नेताओं को मात देकर जीत हासिल की थी। राकेश दौलताबाद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनीष यादव को कांटे की टक्कर में 10,142 मतों से पराजित किया था, लेकिन इस बार समीकरण बिल्कुल अलग है। वैसे तो इस सीट के समीकरण यह कहते हैं कि यहां पिछले तीन मुकाबलों को देखें तो मतदाता अहीर व जाट जाति में बंटा है।

एक दूसरे के वाटों में सेंध लगाने में जुटे

वर्धन यादव राव नरबीर सिंह के अहीरवाल वोट पर सेंध लगाने का काम करेंगे। अहीर मतदाताओं के साथ राव नरबीर और वर्धन यादव एक-दूसरे को काट रहे हैं। वहीं दूसरे नंबर आने वाले जाट वोट की बात करें तो जाट वोट जो पहले राकेश दौलताबाद के साथ था वह अब आम आदमी पार्टी के जाट समाज से संबंध रखने वाले बीरू सरपंच पर दांव खेलकर जाट वोट को भी दो हिस्सों में बांटने काम कर दिया है। अब गैर जाट और गैर अहीर जाति के लोग यहां के चुनाव के समीकरण को बदल सकते हैं।

राव नरबीर दो बार जीत दर्ज कर चुके

बादशाहपुर विधानसभा सीट वैसे तो अहीर बाहुल्य सीट है, लेकिन यहां दूसरे नंबर पर जाट सामाज के मतदाता आते हैं। अहीर बाहुल्य होने और क्षेत्र में पकड़ होने के चलते बीजेपी ने पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को टिकट दी है। वहीं कांग्रेस ने भी अहीरवाल वोट को बांटने के लिए युवा नेता वर्धन यादव पर दांव खेल दिया है। दोनों ही उम्मीदवारों की अगर बात करें तो राव नरबीर पहले यहां से दो बार जीत हासिल कर मंत्री पद पर भी रह चुके हैं। उनके पास अनुभव होने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं का भी बड़ा ग्रुप साथ लगा है।

25 साल की उम्र में बने थे गृह राज्य मंत्री

राव नरबीर सिंह ने पांच साल बाद मजबूत वापसी करते हुए बादशाहपुर से दोबारा टिकट हासिल की है। 63 साल के राव नरबीर सिंह 25 साल की उम्र में हरियाणा के गृह राज्य मंत्री बने थे। जो अभी तक रिकॉर्ड है। तीन बार हरियाणा के मंत्री रह चुके राव नरबीर से सामने कांग्रेस ने वर्धन यादव पर दांव खेला है।

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