वैश्विक स्तर पर और बढ़गे अडानी कंपनी का दबदबा, विदेशों में करने जा रही है बड़ा निवेश
नई दिल्ली । गौतम अडानी समूह की दिग्गज कंपनी- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) का वैश्विक स्तर पर दबदबा बढ़ने वाला है। दरअसल, APSEZ ने मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में अधिक बंदरगाहों के अधिग्रहण की योजना बनाई है। अडानी के इस कदम से ना सिर्फ भारत एक व्यापारिक केंद्र बनेगा बल्कि चीन के प्रभुत्व को भी चुनौती मिलेगी।
क्या है रिपोर्ट में
ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक खराब शिपिंग कनेक्टिविटी की वजह से भारत के समुद्री व्यापार में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अडानी समूह की कंपनी मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया में अवसरों की तलाश कर रही है। बता दें कि अडानी पोर्ट्स मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर है। वहीं, भारत का वर्तमान कंटेनर ट्रैफिक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी यानी चीन के 10% से भी कम है।
करण अडानी ने दिए संकेत
कंपनी के प्रबंध निदेशक करण अडानी ने बताया कि हम भारत को पूर्व से पश्चिम तक समग्र आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र बिंदु बनाने पर काम कर रहे हैं। इसे हासिल करने के लिए हमें जहां भी जरूरत पड़ेगी हम पोजीशन लेंगे। अरबपति गौतम अडानी के 37 वर्षीय बड़े बेटे करण ने कहा कि हम अवसरों की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों से बहुत सारा व्यापार भारत के साथ होता है।
यह अधिग्रहण अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब अडानी समूह तेजी से अपनी विकास योजनाओं को पुनर्जीवित कर रहा है। बता दें कि पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद समूह की विकास योजनाएं गड़बड़ा गई थी। हालांकि, पिछले एक साल में समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स लगातार अपना कारोबार बढ़ा रही है।
कई अधिग्रहण कर चुकी कंपनी
अडानी पोर्ट्स को पहले से ही दा नांग में ग्रीनफील्ड विकास के लिए वियतनामी सरकार से “सैद्धांतिक मंजूरी” मिल गई है, जिसकी कीमत 2 बिलियन डॉलर से अधिक हो सकती है। इसके अलावा इजराइल में हाइफा, श्रीलंका में कोलंबो और तंजानिया में दार एस सलाम के बंदरगाह का भी अधिग्रहण किया जा चुका है। इस क्षेत्र में अडानी की महत्वाकांक्षाएं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने के लक्ष्य के साथ जुड़ी हुई हैं।