कार्तिक-अगहन मास में निकलेंगी महाकाल की चार सवारी, बैकुंठ चतुर्दशी पर 14 को होगा हरिहर मिलन
महाकालेश्वर मंदिर में ग्वालियर के पंचांग से ही सारे पर्व व त्यौहार मनाए जाते हैं। मंदिर से निकलने वाली सवारियों का संचालन भी पंचांग में दी गई तिथि के अनुसार होता है। मंदिर से प्रतिवर्ष श्रावण-भादौ मास के अलावा दशहरा पर फ्रीगंज तक सवारी आती है। इसके बाद कार्तिक-अगहन मास में भी प्रति सोमवार को मंदिर के आंगन से ‘
भगवान महाकाल की चार सवारी निकलती हैं। वहीं, एक सवारी दीपावली के बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर निकलेगी।
श्रावण-भादौ और दशहरा पर्व के बाद राजाधिराज भगवान महाकाल कार्तिक एवं अगहन मास में भी भक्तों को दर्शन देने के लिए राजसी ठाठ-बाट से नगर भ्रमण पर निकलेंगे। इसमें दो सवारी कार्तिक मास और दो सवारी अगहन मास में निकलेगी। इसके अलावा, बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर पिलन की सवारी पर 14 नवंबर को भगवान महाकाल रात 12 बजे ठाठ-बाट से भगवान गोपाल से मिलने द्वारकाधीश मंदिर पहुंचेंगे! पूजन के बाद देर रात में ही सवारी वापस महाकाल मंदिर पहुंचती है।
वर्ष में एक बार होने वाला हरि से हर का मिलन कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर होता हैं। देर रात 12 बजे
श्री गोपाल मंदिर में शैव और वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख हरि से हर का हरि से हर के मिलन के दौरान भगवान हर गोपाल जी को बिल्व पत्र की माला अर्पित करेंगे। वहीं, भगवान हरि यानी गोपाल जी भगवान हर को भी तुलसी की माला अर्पित करेंगे और पूरी सृष्टि का भार भगवान हर फिर हरि को सौंप देंगे। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि वैसे तो सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी भगवान हरि यानी विष्णु जी के पास होती है, लेकिन आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी पर भगवान हरि सृष्टि का भार भगवान हर यानी कि महाकाल को सौंपकर शयन के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं।
भस्मारती में खुली महाकाल की तीसरी आंख, चंद्र और त्रिपुंड लगाकर दिए दर्शन…
उज्जैन। भस्मारती के दौरान महाकाल का अलौकिक स्वरूप में श्रृंगार हुआ। बाबा को चंद्र और त्रिपुंड लगाकर फूलों की माला से श्रृंगारित किया गया। श्रृंगार के बाद बाबा को भस्मारती धूमधाम से की गईं। भगवान का स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। भस्मारती के दौरान ऐसे श्रृंगारित हुए कि उनको त्तीसरी आंख खुल गई। उन्हें त्रिपृंड तिलक लगाया गया और साथ ही फूलों की माला भी पहनाई गई और फिर भस्म अर्पित की गई।
आतिशबाजी और हिंगोट के उपयोग पर रहता है प्रतिबंध…
कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी नीरज कुमार सिंह द्वारा प्रतिवर्ष हरि और हर मिलन समारोह के दौरान महाकालेश्वर की सवारी में दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144(1) के अंतर्गत आतिशवाजी और हिंगोट का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित किए जाने के आदेश जारी किए जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति द्वारा हरि और हर मिलन समारोह के दौरान इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो उसके विरुद्ध नियमानसार वैधानिक कार्रवाई की जाती है।