देश के सबसे बड़े IPO को ठंडा रिस्पॉन्स! दांव लगाने से पहले जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
मुंबई । हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड आईपीओ निवेश के लिए आज 17 अक्टूबर तक खुला है। यानी इस आईपीओ में दांव लगाने का आज आखिरी मौका है। बता दें कि 15 अक्टूबर को यह इश्यू ओपन हुआ था। साउथ कोरियाई व्हीकल मैन्युफैक्चरर हुंडई की भारतीय यूनिट हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ है। इसने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के 21,000 करोड़ रुपये के आईपीओ को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, बीते दो दिनों में इस इश्यू को ठंडा रिस्पॉन्स मिला है। करीबन 27,870 करोड़ रुपये के इस इश्यू को 15-16 अक्टूबर तक में केवल 42% ही सब्सक्राइब किया गया है। बता दें कि आईपीओ का प्राइस बैंड 1,960 रुपये प्रति शेयर है।
किस हिस्से को कितना सब्सक्राइब
एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक, रिटेल निवेशकों ने 38% हिस्से को ही सब्सक्राइब किया है, जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों ने 26% तक सब्सक्राइब किया। वहीं, योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) हिस्से में 58% सब्सक्रिप्शन मिला है। कर्मचारी हिस्से को 1.30 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है। बता दें कि बोली प्रक्रिया के पहले दिन हुंडई मोटर इंडिया आईपीओ को मात्र 18% ही सब्सक्राइब किया गया था। आंकड़ों के मुताबिक, 27,870 करोड़ रुपये के साइज वाले आईपीओ के तहत 9,97,69,810 शेयरों की पेशकश के मुकाबले 4,17,21,442 शेयरों के लिए बोलियां मिली हैं।
क्यों सब्सक्राइब नहीं कर रहे निवेशक?
– आईपीओ को सब्सक्राइब नहीं करने या कम करने के पीछे सबसे बड़ी वजह इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी में लगातार गिरता भाव है। बता दें कि Investorgain.com के मुताबिक, इस आईपीओ का जीएमपी पिछले 20 दिनों में ही 97 पर्सेंट गिर गया है।
– यह आईपीओ पूरी तरह से ओएफएस पर आधारित है और इसमें कोई नया इक्विटी शेयर नहीं जारी किया गया है। यानी कि आईपीओ से जो राशि आएगी, वह कंपनी के हिस्से नहीं बल्कि प्रमोटर के हिस्से जाएगी। इसका मतलब है आईपीओ से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनी की ग्रोथ में खर्च नहीं होगा।
– इसके अलावा कुछ मार्केट एनालिस्ट की माने तो कंपनी ने अपने आईपीओ का वैल्यूवेशन काफी महंगा रखा है। इसे और सस्ता होना चाहिए था। ऐसे में इच्छुक निवेशक लिस्टिंग के बाद कुछ करेक्शन की उम्मीद कर रहे हैं।
97% तक गिर चुका है जीएमपी
हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड आईपीओ को ठंडा रिस्पॉन्स मिलने के पीछे ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी (GMP) में लगातार गिरते भाव सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है। बता दें कि अनलिस्टेड मार्केट में हुंडई मोटर इंडिया के शेयरों के भाव लगातार गिर रहे हैं। Investorgain.com के मुताबिक, इस आईपीओ का जीएमपी पिछले 20 दिनों में ही 97 पर्सेंट गिर गया है। 27 सितंबर को हुंडई आईपीओ का जीएमपी ₹570 था और आज 17 अक्टूबर यह 17 रुपये पर आ गया है। 17 रुपये प्रीमियम पर जीएमपी कंपनी के शेयरों की फ्लैट लिस्टिंग का संकेत दे रहा है। क्योंकि इस हिसाब से कंपनी के शेयर (अपर प्राइस बैंड 1960 रुपये +लेटेस्ट जीएमपी 17) = 1977 रुपये पर लिस्ट हो सकते हैं। यह प्राइस बैंड से केवल 0.87% अधिक है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अधिकतर ब्रोकरेज कंपनियों के मुताबिक, हुंडई मोटर के आईपीओ को लॉन्ग टर्म के लिए लिया जा सकता है। अरिहंत कैपिटल, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, केआर चोकसी रिसर्च, एसबीआई सिक्योरिटीज और आईडीबीआई कैपिटल सहित ब्रोकरेज फर्मों ने हुंडई मोटर आईपीओ को ‘सब्सक्राइब’ रेटिंग दी है। इसके अलावा, आनंद राठी रिसर्च, एलकेपी सिक्योरिटीज, अरिहंत कैपिटल और आदित्य बिड़ला मनी ने लॉन्ग टर्म निवेश के लिए हुंडई मोटर आईपीओ में दांव लगाने की सिफारिश की है।
SMIFS Ltd के मुताबिक, हुंडई आईपीओ पर दांव लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी एसयूवी सेगमेंट में इंडस्ट्रीज की प्रमुख बाजार हिस्सेदारी है। प्रोडक्शन कैपासिटी में बढ़ोतरी और ईवी सेगमेंट में प्रवेश से भविष्य की संभावनाओं को पॉजिटिव रूप से बढ़ावा मिलेगा।’ ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि एसयूवी सेगमेंट में प्रमुख बाजार हिस्सेदारी, रेवेन्यू और मार्जिन में सुधार में सहायता करने वाले नए ईवी मॉडल के प्रीमियमीकरण और पीवी सेगमेंट में लॉन्च के साथ इसका फ्यूचर काफी ब्राइट है। ऐसे में लंबी अवधि के लिए इसे सब्सक्राइब करने की सलाह है।
हुंडई मोटर की योजना
हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) तरुण गर्ग ने हाल ही में पीटीआई-भाषा से आईपीओ के सवाल पर बात करते हुए कहा, ‘हम भारत में 26 साल से अधिक समय से हैं। हमारे पास बहुत अधिक बाजार हिस्सेदारी है। हम भारत में पैसेंजर व्हीलर सेगमेंट में दूसरे स्थान पर हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा मकसद भारत का सबसे भरोसेमंद ब्रांड बनना है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत एक देश के रूप में बहुत अच्छा कर रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि बहुत अच्छी है और यह वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर से बहुत अधिक है। पिछले तीन से चार साल में भारत सभी प्रमुख कंपनियों के लिए एक बहुत अच्छे गंतव्य के रूप में उभरा है और वृद्धि की गति भी तेज हो गई है