Cyber Attack In Uttarakhand: इस एक गलती से फंस गया ITDA!
- करोड़ों के सॉफ्टवेयर खरीदकर इस्तेमाल करना भूल गया
- इसे भूल-चूक माने या सरासर लापरवाही!
उत्तराखंड में हुए साइबर हमलों के बाद अब ये बात साफ होती दिख रही है कि साइबर हमले का दंश झेल रहा सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) इस तरह के हमलों से बचने के लिए आधे-अधूरे कदम उठाता आया है। हालात ये हैं कि करोड़ों रुपये के सॉफ्टवेयर और सुरक्षा संबंधी सॉल्यूशन खरीदने के बाद भी इनके द्वारा उनका इस्तेमाल ही नहीं किया गया।
खास बात ये है कि अब तक जहां अधिकारों की कमी के चलते इस पूरे मामले में सरकार घिरती हुई दिख रही थी वहीं अब जो जांच में नई बात सामने आई है, उसमें ITDA की एक गलती उस पर अत्यंत भारी पड़ती दिख रही है।
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ज्ञात हो कि आईटीडीए पिछले करीब डेढ़ सप्ताह से साइबर हमले से जूझ रहा है। ऐसे में अभी तक भी इस हमले से प्रभावित हुईं सभी वेबसाइट व मोबाइल एप पूर्ण रूप से सुचारू नहीं हो पाए हैं।
वही सूत्रों के सामने आ रही जानकारी के अनुसार आईटीडीए ने कुछ समय पहले ही कई एंटी वायरस व साइबर सुरक्षा संबंधी सॉल्यूशन खरीदे थे। जिनमें करीब दो करोड़ की कीमत से खरीदा गया सिक्योरिटी इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट भी शामिल था। जिसका काम डाटाबेस मैनेज करने का होता है, लेकिन इसकी खरीद अब तक काम में नहीं लाई गई। इसके अलावा कई अन्य सॉल्यूशन भी हैं जो कि करोड़ों की लागत से खरीदे गए, लेकिन वे भी इस्तेमाल नहीं में नहीं लिए गए। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि समय रहते इनका इस्तेमाल कर लिया जाता तो मुमकिन है कि इतने बड़े साइबर हमले का सामना नहीं करना पड़ता।
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विवादों में है लंबे समय से डाटा सेंटर का बैकअप
यहां ये भी जान लें कि आईटीडीए स्थित डाटा सेंटर का बैकअप सिस्टम करीब पांच सालों से विवादों में बना हुआ है। बताया जाता है कि, आईटीडीए ने 2019-20 में एक एजेंसी को बैकअप का ठेका दिया था, लेकिन वह यहां का डाटा सुरक्षित ही नहीं कर पाया। जिसके चलते इसका ठेका आईटीआई लिमिटेड बंगलुरू को दिया गया था।
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लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग 3.5 करोड़ में ठेका लेने वाली आईटीआई लिमिटेड बंगलुरू भी डिजास्टर रिकवरी के लिए पूर्ण बैकअप नहीं ले सकी। साइबर हमले के वक्त आईटीआई लिमिटेड बंगलुरू की टीम रिमोट एक्सेस जैसे जोखिम भरे तरीके से डाटा सेंटर से सीसीटीएनएस का बैकअप लेने का प्रयास कर रही थी।
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सवाल जो अब भी खड़ा है…
अब तक जहां इस पूरे नुकसान का जिम्मेदार हर तरफ से मिली सूचनाओं के आधार पर सरकार को बनाते हुए कटघरे में ला रहा था, वहीं यकायक ITDA की इस एक गलती ने इस पूरे नुकसान का जिम्मेदार उसे ही बना दिया। ऐसे में जो सीधा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अब सरकार इस पूरे नुकसान की वसूली ITDA व आईटीआई लिमिटेड बंगलुरू से वसूल करेगी या अभी भी इसका भूगतान जनता को ही करना होगा।
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कारण साफ है कि जब ITDA की ओर से कई एंटी वायरस व साइबर सुरक्षा संबंधी सॉल्यूशन खरीदे गए यानि इसकी अनुमति सरकार द्वारा प्रदान कर दी गई ऐसे में ये दिखता है कि सरकार तो सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार रवैया अपना ही रही थी, चूक तो ITDA ने अपनी लापरवाही के चलते की!