Uttarakhand: मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे, बद्रीनाथ की भी तिथि आज होगी घोषित

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  • शीतकाल के लिए हर साल बंद होते हैं कपाट

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ के रांसी से 18 किमी की दूरी पर शिव का एक प्रमुख धाम स्थित है। जो मध्यमहेश्वर के नाम से जाना जाता है।

ऐसे में इस साल यानि 2024 में भगवान मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बन्द हो जाएंगे। इसी के साथ भगवान मदमहेश्वर की डोली 21 को रांसी 22 को गिरिया 23 को गद्दी स्थल ऊखीमठ पहुंचेगी। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि भी आज दशहरा पर घोषित की जाएगी।

बदरीनाथ धाम परिसर में पंचांग गणना के बाद समारोहपूर्वक कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा की जाएगी। बदरीनाथ धाम में पौराणिक काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार हर साल कपाट बंद होने की तिथि विजयदशमी पर्व पर घोषित की जाती है। शनिवार को विजयदशमी पर दोपहर 11:30 बजे कार्यक्रम शुरू होगा।

बदरीनाथ के मुख्य पुजारी (रावल) अमरनाथ नंबूदरी, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, सदस्य, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी की उपस्थिति में बदरीनाथ के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट पंचांगगणना कर कपाट बंद होने की तिथि तय करेंगे। इसी दौरान अगले साल यात्राकाल में भंडार की व्यवस्थाओं के लिए कमदी, भंडारी, मेहता थोक के हक-हकूक धारियों को बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से सम्मान स्वरूप पगड़ी भेंट की जाएगी।

UPDATE:

बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे

उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर समिति ने शनिवार को यह जानकारी दी। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि परंपरा के अनुसार, हिंदू कैलेंडर और खगोलीय पिंडों की स्थिति के आकलन के बाद शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर कपाट बंद करने की तिथि और समय का मुहूर्त तय किया गया। इस वर्ष बद्रीनाथ में 11 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये, जबकि केदारनाथ में 13.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। पहले की गई घोषणा के अनुसार, केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट तीन नवंबर को तथा गंगोत्री के कपाट दो नवंबर को बंद होंगे।

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